- एआईकेएससीसी के राष्ट्रीय वर्किंग ग्रुप ने संयोजक के पद को समाप्त करने का निर्णय लिया; अब से सभी निर्णय केवल वर्किंग गु्रप द्वारा लिये जाएंगे और वही एआईकेएससीसी का अधिकारिक पक्ष होगा।
- सभी राज्यों में टोल प्लाजा रोके गये। यात्रियों ने दसियों हजार करोड़ का शोषणकारी टोल शुल्क बचाया।
- आज व्यापक व वृहद विरोधों की योजना; सरकार ने दमन तेज किया, कई नेता रक्षात्मक हिरासत में।
- एआईकेएससीसी ने भाजपा सरकार द्वारा विरोध रोकने और किसानों की आवाज न सुनने की पुनः निन्दा की।
- एआईकेएससीसी की अपील पर देश के किसान दीर्घावधि के संघर्ष की तैयारी बना रहे है। प्रमुख शहर मुम्बई, कोलकाता, पटना आदि में बड़ी रैलियों की योजना।
- देश की खाद्यान्न सम्प्रभुता की रक्षा की भावना को जागृत करने के लिए पंजाब के किसानों ने हाईवे के डिवाइडर पर धनिया, गाजर, मूली बोनी शुरु की।
एआईकेएससीसी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने बैठक की और संयोजक के पद को रद्द करने का निर्णय लिया। अब से एआईकेएससीसी के सभी निर्णय वर्किंग ग्रुप द्वारा लिये जाएंगे, वही उसका अधिकारिक पक्ष होगा और उसी रूप में वे घोषित किये जाएंगे।
इस बीच जयपुर- दिल्ली हाईवे के शाहजहापुर सीमा पर चक्का जाम के साथ संघर्ष शुरु हो गया है। किसान संगठनों ने रात को सीमा पर डेरा डाला और राजस्थान व हरियाणा के सभी इलाकों से शाहजहापुर की ओर कूच करना शुरु कर दिया है, जिससे आन्दोलन को बल मिल रहा है।
सभी राज्यों में टोल प्लाजा रोके गये और अत्यधिक टोल शुल्क के दसियों हजार करोड़ रुपये यात्रियों ने बचाए। सभी इलाकों में किसानों ने रिलायंस के शापिंग माल, पेट्रोलपम्प व टावर पर एकत्र होकर संघर्ष किया, विशेषकर महाराष्ट्र, झारखण्ड और ओडिशा में।
आज के विरोध को रोकने के लिए भाजपा सरकार ने छापे मारकर नेताओं की गिरफ्तारियां शुरु कर दी हैं। इन दमनकारी कदमों की निन्दा करते हुए एआईकेएससीसी ने कहा है कि पुलिस की रुकावटों के बावजूद आज के विरोध में पहले से ज्यादा संख्या में लोग भाग लेंगे। राज्यों की राजधानियों में अलग-अलग तारिखों में बड़ी रैलियां आयोजित की जा रही हैं। कोलकाता में 16 दिसम्बर को गवर्नर हाउस तक रैली जाएगी, जबकि पटना में 29 दिसम्बर को रैली होगी। मुम्बई के किसान विधान सत्र के शुरु होने के अवसर पर आज धरने पर बैठेंगे और मांग करेंगे कि केन्द्रीय कानून के प्रभावों को रोकने के लिए राज्य द्वारा नए कानून बनाये जाएं। देश भर के किसान पंजाब और हरियाणा के साथ एक लम्बी अवधि की लड़ाई की तैयारी में जुट गये हैं। कारपोरेट हितों के साथ खड़ी केन्द्र सरकार के विभाजनकारी तथा भटकाने वाली नीति का मुकाबला करते हुए किसान संघर्ष बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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आशुतोष
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