देश के सबसे अमीर 1% लोगों पर 2% आपातकालीन टैक्स लगाने के लिए प्रधानमंत्री से अपील


डॉ. जी. जी. पारिख, न्यायमूर्ति बी. जी. कोळसे पाटिल, मेधा पाटकर,  प्रो. अनिल सद्गोपाल, अरुणा रॉय, जिग्नेश मेवाणी, नीरज जैन, सुभाष वारे, इनके साथ देश के अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों व वैज्ञानिकों ने मिलकर यह याचिका  १ मई मजदूर दिवस के मौके पर लोगों के हस्ताक्षरों के लिए सोशल मीडिया पर जारी की है।

कोरोना महामारी और उसकी वजह से हुए बहुआयामी सामाजिक-आर्थिक देशव्यापी भारी नुकसान से जूझने हेतु कोष जुटाने के लिए देश के सबसे दौलतमंद एक फ़ीसद लोगों पर 2% आपातकालीन कोरोना कर लगाने की प्रधानमंत्री से अपील।


प्रति,
मा. प्रधानमंत्री,
भारत सरकार,
नई दिल्ली

“हम, भारत के लोग”, आपसे अपील करते हैं कि आपकी सरकार ने कोरोनावायरस महामारी और इस महामारी के व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिणामों (जिसमें भुखमरी के कगार पर ढकेलने वाली व्यापक बेरोज़गारी शामिल है) से जूझने के लिए जो रु. 1.7 लाख करोड़ का राहत पैकेज घोषित किया है, उसे बढ़ाकर कम से कम रु. 10 लाख करोड़ करें।

सरकार इसके लिए अतिरिक्त राजस्व देश के सबसे दौलतमंद 1% लोगों पर मात्र 2% आपात्कालीन कोरोना कर लगाकर प्राप्त कर सकती है। अनुमान है कि वर्तमान में इन लोगों के पास कुल रु. 476 लाख करोड़ की सम्पत्ती है।

देश के महा-अमीरों पर 2% ‘आपात्कालीन कोरोना कर’ के उपरोक्त प्रस्ताव का निर्देश संविधान के अनुच्छेद 38(2) में दिया गया है – “आमदनी की गैर-बराबरियों को न्यूनतम किया जाए”; और अनुच्छेद 39(ग) – “[सुनिश्चित किया जाए] . . . अर्थव्यवस्था ऐसी न हो ताकि दौलत का संकेद्रण हो . . .”।

इस अतिरिक्त धनराशि का उपयोग कर इस महामारी से सफलतापूर्वक लड़ने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने अत्यंत जरूरी हैं:

👉 अनियोजित तालाबंदी(लॉकडाउन) को पुलिस नियंत्रण के बदले लोगों को विश्वास में लेकर लागू करना, जन-सहभागिता आधारित तरीकों का इस्तेमाल कर महामारी के मरीज़ों का पता लगाना, परीक्षण (टेस्टिंग) करना, अलग-थलग करना (आइसोलेशन), और मरीज़ों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ करना।

👉 कोरोना परीक्षण (टेस्टिंग) का दायरा कई गुना बढ़ाना ताकि करोनावायरस के पीड़ितों को लक्षण न दिखने पर भी पहचाना जा सके, फिर उन्हें अलग-थलग करना (आइसोलेशन/क्वारंटाईन जैसी जरूरत हो), और यदि उनकी तब़ियत ख़राब हो तो उनके सहायक उपचार की व्यवस्था करना।

👉 कोरोना महामारी से लड़ने के लिए ‘सार्वजनिक जनस्वास्थ्य व्यवस्था’ को गावों और आदिवासी क्षेत्रों से लेकर शहरों तक पुनर्जीवित करना। इसके लिए सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को कम से कम दुगना करे, यानि वर्तमान में होने वाले खर्च में जीडीपी का 1.5% (लगभग रु. 3.4 लाख करोड़) से बढ़ोत्तरी करे.

👉  सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और निजी परीक्षण प्रयोगशालाओं – डॉक्टरों व पूरे स्टाफ़ समेत – को सरकार तुरंत अपने नियंत्रण में ले ताकि पूरी क्षमता के साथ कोविड-19 महामारी से जूझ सके।

👉 संगठित व असंगठित क्षेत्रों के सभी बेरोजगार कर दिए गए लोगों को  जीवनावश्यक खाद्य सामग्रीयों का वितरण सुनिश्चित करें, ताकि वे तालाबंदी के समय और बाद में भी एक ‘सम्मानजनक जीवन’ व्यापन कर  सकें, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में निर्देशित है।

👉  इसके अलावा, देशभर के सभी मेहनतकशों के परिवारों (लगभग 20 करोड़ परिवार) को कम से कम रु. 4000 नगद की मदद करें, न्यूनतम दो महीनों के लिए, चाहे इनके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड हो या न हो।

👉  जब तक अर्थव्यवस्था नहीं सुधरती और लोग शहरों में वापस नही आते, तब तक सरकार को ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी कानून’ (‘मनरेगा’) के तहत रोज़गार का प्रावधान बढाना पडेगा। साथ में, सरकार को शुरूआती चरण में कम-से-कम छोटे शहरों/कस्बो में भी ‘मनरेगा’ की तर्ज़ पर ‘शहरी रोज़गार गारंटी स्कीम’ लागू करनी होगी।

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