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चुनाव आते-जाते रहेंगे, लेकिन अब भी न संभले तो कहीं देश के साथ खेला न हो जाए!
दुनिया के जिन लोकतंत्रों ने तरक्की के नए मुकामों को हासिल किया, वहां नए विचारों का सृजन अनवरत रूप से हुआ। वहां कभी खोखलेपन की भक्ति नहीं की गयी, अंधानुकरण करते हुए ‘नीरो’ को अपना देवता नहीं माना गया।
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