…आर या पार हो जट्टा तगड़ा होजा: तिहाड़ में गूंजते लहरी नगमे और पैर पर लिखी एक इबारत

मनदीप बाहर आये कुछ कहानियां लेकर। तिहाड़ में बंद किसानों की कहानियां। उनके पास न तो कोई रिकॉर्डर था, न कैमरा, न नोटबुक और न मोबाइल। बाहर आते ही उन्‍होंने अपने नोट्स मीडिया को दिखाये, जो पुलिस की लाठी से सूजे अपने पैरों पर उन्‍होंने लिख मारे थे। उन्‍हीं नोट्स के आधार पर उन्‍होंने एक संक्षिप्‍त कहानी लिखी और जनपथ को भेजी है।

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