क्या मोदी के खिलाफ अंग्रेजी में लिखने के चलते मेहता को धोना पड़ा नौकरी से हाथ?
नरेन्द्र मोदी को लेकर थोड़ा बहुत शक तब भी देश के लिबरल लोगों में था। इस शुबहे को रामचंद्र गुहा, प्रताप भानु मेहता और आशुतोष वार्ष्णेय जैसे लोगों ने फासिस्ट न होने का सर्टिफिकेट देकर खारिज कर दिया। परिणामस्वरूप जिस नरेन्द्र मोदी की स्वीकृति पढ़े-लिखे जेनुइन लिबरल लोगों के घरों में नहीं थी, वहां भी हो गई।
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