धर्मनिरपेक्षता के संघर्ष में सरदार पटेल को सही नजरिये से समझने की कोशिश
, जब हम सेकुलरिज्म को पश्चिमी अवधारणा से देखते हैं जिसमें धर्म और राजनीति एक दूसरे से पर्याप्त दूरी बरतते हैं, तभी हमें सरदार हिंदुत्ववादी रुझान वाले दिखते हैं। किताब के परिचय में नानी पालखीवाला ने इस धारणा के लिए स्पष्ट तौर पर समाजवादियों जैसे जेपी, वामपंथियों के साथ ही आज़ाद को भी को ज़िम्मेदार ठहराया है।
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