गाहे-बगाहे: संग से सर मारकर पैदा न होए आशना

पिछड़ों के बीच पैदा हुए महापुरुषों, उनके विचारों और उनके कृतित्व पर ब्राह्मणवाद जितनी बेरहमी से हमला करता है उससे कहीं ज्यादा घातक रूप में पिछड़े ही उन पर हमला करके उन्हें तबाह करते हैं। बक़ौल राजेंद्र यादव, उन्हें गुलामी में जितना आनंद आता है उससे कहीं अधिक आज़ादी से खतरा महसूस होता है।

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