
इंदौर: प्रलेस के स्थापना दिवस पर पॉल रॉब्सन और राहुल सांकृत्यायन को याद किया गया
इस अवसर पर विख्यात, क्रांतिकारी नीग्रो गायक पाल राब्सन और हमारे समय के महान यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन का जन्म दिवस होने पर उन्हें याद किया गया।
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इस अवसर पर विख्यात, क्रांतिकारी नीग्रो गायक पाल राब्सन और हमारे समय के महान यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन का जन्म दिवस होने पर उन्हें याद किया गया।
Read Moreसाम्राज्यवाद को दो पैमानों से पहचाना जा सकता है। पहला यह कि शोषक ताकतें किसी दूसरे देश पर कब्जा करके यानि उसे उपनिवेश बनाकर उस देश के उद्योगों को खत्म कर देती हैं और दूसरा उस देश की उपज और उत्पादन को जबरदस्ती हड़पती जाती हैं।
Read Moreप्रलेसं इकाई अध्यक्ष डॉ जाकिर हुसैन ने कहा कि इजरायल द्वारा बड़े पैमाने पर महिलाओं, बच्चों की हत्या की गई है। यूरोपीय देशों का दोगलापन सामने आया है। एक तरफ वे ग़जा में खैरात बांट रहे हैं दूसरी तरफ इजराइल को नित नए शास्त्र देकर फिलिस्तीनियों के कत्लेआम में मदद कर रहे हैं। भारत सदैव फिलिस्तीन की जनता के पक्ष में रहा है लेकिन वर्तमान सरकार इजराइल के साथ खड़ी है।
Read Moreजब देश में गुलामी का दौर था तब साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिले। आजाद भारत में आज का युवा धार्मिक यात्राओं में ही लीन हैं। प्रेमचंद को पहले ब्राह्मण विरोधी प्रचारित किया गया अब उन्हें दलित विरोधी बताया जा रहा है।
Read Moreउपन्यास में आंदोलन का वर्णन ऐसे है जैसे जमीन से अनाज पैदा होता है, वैसे ही शोषण से जनआंदोलन पैदा हो रहा है, आंदोलन के नेता पैदा हो रहे हैं, लेखक पैदा हो रहा। उपन्यासकार मामूली इंसानी जिंदगियों को, उनके अभावग्रस्त जीवन को, इस जीवन के खिलाफ संघर्ष को करुणा के माध्यम से उसके उदात्त स्वरूप तक ले जाता है।
Read Moreप्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना की 87वीं वर्षगांठ एवं हरिशंकर परसाई की जन्मशताब्दी के अवसर पर प्रलेस की इंदौर इकाई द्वारा ओसीसी होम, रुद्राक्ष भवन, इंदौर में गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने संबंधित विषयों पर अपनी बात रखी।
Read More‘प्रगतिशील लेखन आंदोलन- चुनौतियां और दायित्व तथा बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में लेखकों की भूमिका’ विषय पर सम्मेलन में अनेक विद्वान वक्ताओं ने अपने विचार रखे। संपन्न आयोजन में साहित्य संस्कृति के अनेक रंग देखे गए।
Read Moreसम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे इंदौर इकाई के अध्यक्ष चुन्नीलाल वाधवानी ने अपने संबोधन में कहा कि तलवार के जोर पर कब्जा तो किया जा सकता है लेकिन क्रांतिकारी बदलाव नहीं। यह कार्य साहित्यकार कर सकता है। गांधी, भगत सिंह, अंबेडकर के बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।
Read Moreकॉमरेड गोविंद पानसरे की स्मृति में प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई द्वारा आयोजित बैठक में विनीत ने कहा कि यह विडंबना ही है कि कॉमरेड पानसरे को देश में उनकी मृत्यु के बाद ही पहचाना जा सका जबकि महाराष्ट्र में तो उनके जनसंघर्षों और लेखन की वजह से उन्हें सभी जानते हैं।
Read Moreफ़ैज़ साहब के बारे में ये एक बात बहुत कम लोग जानते हैं। उसे प्रचारित भी नहीं किया गया। जब गांधीजी की हत्या हुई थी तब फ़ैज़ साहब “पाकिस्तान टाइम्स” के संपादक थे। गांधीजी की शवयात्रा में शरीक होने वे वहां से आए थे चार्टर्ड प्लेन से। और जो संपादकीय उन्होंने लिखा था, गांधीजी के व्यक्तित्व का बहुत उचित एतिहासिक मूल्यांकन करते हुए शायद ही कोई दूसरा संपादकीय लिखा गया होगा।
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