पोर्टलैन्ड के आंदोलन से क्या “दलित लाइव्स मैटर” के लिए हम कुछ रोशनी ले सकते हैं?

ऑक्युपाइ की तरह पोर्टलैन्ड का यह विरोध भी दैहिक है, भौतिक है- अप्रत्यक्ष या परोक्ष (वर्चुअल) नहीं। भारत में भी जातिवाद, पूँजीवाद जैसी विकृतियों के खिलाफ जो भी अभिव्यक्ति होनी है वह प्रत्यक्ष और वास्तविक रूप से ज़ाहिर करनी होगी।

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