पहलगाम और ‘मुंबई मेरी जान’ के उस सीन का एक अदद पैगाम!

एक बार फिर, पहलगाम के बाद एक विषैला वातावरण, द्वेष से प्रदूषित माहौल, शक, संदेह का अंतर्प्रवाह और अंतर्भाव – यह खुद में सामाजिक सद्भाव और संतुलन के लिए अत्यंत हानिकारक है। खासकर, जब सत्ताधारी स्पष्ट रूप से ऐसे वातावरण के पनपने और फ़ैलने के रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं ले रहे हैं।

Read More