अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सरकारी हमले के खिलाफ़ लेखक संगठनों का संयुक्त बयान

हम अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने के लिए प्रवर्तन निदेशालय के इस्तेमाल की निंदा करते हैं और ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय को अपना काम ज़रूर करना चाहिए, पर जाँच को उत्पीड़न का हथियार बनाना हर तरह से निंदनीय है।

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वरवर राव और अन्य राजनीतिक बंदियों की रिहाई के हक़ में साँस्कृतिक संगठनों का साझा बयान

न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ, जन नाट्य मंच, इप्टा, प्रतिरोध का सिनेमा और संगवारी की ओर से निम्नांकित बयान जारी किया गया:

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