आर्टिकल 19: जनता पहले अपना मीडिया बदलेगी, फिर बारी आएगी सियासत की! क्रोनोलॉजी समझिए…

तीन कानूनों की वापसी के लिए शुरू हुआ आंदोलन इनकी वापसी पर खत्म होने वाला नहीं है। ये नई राजनीति की सिर्फ शुरुआत है। इस पर किसी को भ्रम नहीं होना चाहिए।

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बिहार में NDA के खिलाफ लोगों के विरोध और खाली मैदान दिखाने से मीडिया शरमाता है

इस बार बिहार के मतदाताओं में मौजूदा सरकार यानी बीजेपी-जदयू वाले गठबंधन के खिलाफ़ भारी आक्रोश है. हालत यह है कि खाली सभाओं को छिपाने के लिए पुरानी तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया पर झूठा प्रचार तक किया गया.

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आर्टिकल 19: जो चैनल चला रहा है, उसी को किसानों को भी लूटना है! खेल समझिए…

दरअसल, करोड़पतियों के नींद, चैन, सुकून का हिसाब-किताब करने में व्यस्त टीवी चैनलों को फुर्सत नहीं मिल पा रही है कि वो माथे पर चुहचुहाते पसीने से तरबतर किसानों की छिन चुकी नींद और सुकून की खबर ले लें और खबर दे दें।

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राग दरबारी: GDP, बेरोज़गारी, बीमारी पर जनता की चुप्‍पी का राज़ 200 सीटों में छुपा है!

जहां कहीं भी किसी भी राजनीतिक दल ने अपनी निर्भरता कॉरपोरेट मीडिया से हटाकर अपने मीडिया संस्थानों पर कर ली है, उसकी हालत वहां इतनी खराब नहीं है. महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना को उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है.

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नागरिक स्‍वतंत्रता पर लॉकडाउन: COVID-19 के दौर में समाचार मीडिया पर PUCL की रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौर में समाचार मीडिया की स्थिति पर अपनी 36 पन्‍ने की रिपोर्ट में पीयूसीएल ने पत्रकारों की छंटनी, वेतन कटौती से लेकर उनके ऊपर हुए मुकदमों का एक संक्षिप्‍त खाका प्रस्‍तुत किया है।

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ढहते घरों की गहराती दरारों पर इश्‍तहार चिपकाती सियासत और मीडिया

19 जुलाई तक जारी हुए आंकड़ों के अनुसार असम में 79 लोगों की जान इस विनाशकारी बाढ़ ने ले ली है, राज्य के 26 जिलों के 2678 गाँव इसकी चपेट में हैंं और हजारों एकड़ की खेती वाली ज़मीनें जलमग्न हो चुकी हैंं। बिहार में भी करीब 3 लाख लोगों पर खतरा है, राज्य की सभी मुख्य नदियाँ खतरे के निशान से ऊपर प्रवाहित हैं।

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कोरोना की आड़ में मीडिया को ‘पत्रकारों’ से सैनिटाइज़ करने की साज़िश है इस दौर की छंटनी!

कोरोना महामारी के चढ़ते ग्राफ़ के बीच पत्रकारों की नौकरी जिस गति से जा रही है, वह दिन दूर नहीं जब कोरोना से संक्रमित होने वाले नागरिकों की संख्‍या को …

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मध्य प्रदेश में ‘सरकारात्मक पत्रकारिता’ का कोरोना-कालीन मुजरा

कुछेक अपवाद को छोड़कर इन दिनों लगभग सभी अखबार कोरोना महामारी को लेकर सारी खबरें वैसी ही छाप रहे हैं जैसा सरकार चाहती है

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पत्रकारों की छंटनी और वेतन कटौती पर सुप्रीम कोर्ट में PIL मंजूर, केंद्र सहित INS-NBA को नोटिस

इस संयुक्त याचिका में कम से कम नौ मामलों का उदाहरण दिया गया है जिनमें वेतन कटौती, अनिश्चित काल तक कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजे जाने और नौकरी से निकाले जाने के मामले शामिल हैं।

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राग दरबारीः एक ‘टोमैटो इंटेलेक्चुअल’ पर बंदिश लगाने और टमाटर-मिर्च की दमड़ी वसूलने वाला मीडिया

हकीकत तो यह है कि रामचंद्र गुहा के इस लेख से ज्यादा गंभीर अल्पना किशोर का लेख है. फिर भी हिन्दुस्तान टाइम्स ने उस लेख को छापने से मना कर दिया.

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