संविधान पर चल रहे विमर्श के निहितार्थ

क्या संविधान से हमें कुछ हासिल नहीं हुआ? जब हमारे साथ स्वतंत्र हुए देशों में लोकतंत्र असफल एवं अल्पस्थायी सिद्ध हुआ और हमारे लोकतंत्र ने सात दशकों की सफल यात्रा पूरी कर ली है तो इस कामयाबी के पीछे हमारे संविधान के उदार एवं समावेशी स्वरूप की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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