मारिबू पाछे डरिबु नाहि, जनम माटि छाड़िबु नाहि! POSCO से JSW तक ओडिशा के किसानों का संघर्ष

ढिंकिया की घटनाएं इस क्षेत्र से बाहर रहने वालों से एक बार फिर पूछ रही हैं कि क्या उपजाऊ कृषि भूमि को इस्पात उत्पादन उद्यमों द्वारा निगलने दिया जा सकता है? पूर्वी तटरेखा इक्‍कीसवीं सदी की पारिस्थितिकीय बर्बादी की गवाह बन रही है। अधिक मुनाफ़ा कमाने की नीयत से इस इलाक़े में जिंदल स्टील वर्क्स का प्रवेश पूंजीवाद के बेलगाम अभियान में अंतर्निहित पारिस्थितिक संकट की एक जीती-जागती मिसाल है।

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ओडिशा: जमीन कब्जाने के लिए गांव को पुलिस ने बनाया बंधक, SKM का शांति मार्च और प्रेस वार्ता

शुक्रवार को हुई प्रेस मीट में एसकेएम, ओडिशा ने साफ तौर से बताया कि कैसे लोगों को उनके गांव में कैद कर दिया गया है। रात में पुलिस के छापे, थाने में ग्रामीणों का हिरासत में लिया जाना और अपने प्‍लॉट बेने के लिए डराया धमकाया जाना आम बात हो गयी है। अनगिनत ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमे लाद दिए गए हैं जिससे आतंक का माहौल है। घरों में घुस कर पुलिस द्वारा महिलाओं को धमकाए जाने की बात भी सामने आयी है।

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