तन मन जन: आत्महत्या दरअसल ‘सांस्थानिक हत्या’ है!

सुशान्त राजपूत या देश के किसान या विश्वविद्यालय के छात्र या कोई प्रोफेशनल- यदि आप आत्महत्या के लिए मजबूर हैं तो समझिए कि आपकी हत्या की सुपारी व्यवस्था ने पहले ही दे रखी है।

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