बनारस में शुरू हुई वरुणा नदी को बचाने की मुहिम: ‘गाँव के लोग’ की नदी यात्रा

अस्सी नदी का अस्तित्व शहर की गंदगी ने लील लिया लेकिन वरुणा की हालत उससे कम बदनसीबी से भरी नहीं थी। जहां से यात्रा को वापस मुड़कर फिर महजिदिया घाट आना था उस सुरवा घाट पर जहां कुछ महीने पहले नाव चला करती थी अब वहां शायद घुटने भर पानी भी नहीं रह गया था। बाँस का एक पुल बना दिया गया था और दूसरे किनारे पर घटवार झोपड़ी में बैठा किराया वसूल करता था।

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सुलगती ईंटों का धुआँ: माता जुगरी देवी गाँव के लोग कथा सम्मान प्राप्त दलित चेतना की कहानी

कहानी की चयन समिति के सदस्य वरिष्ठ दलित-चिंतक प्रो. किशोरी लाल रैगर ने अपनी संस्तुति में लिखा है कि “सुलगती ईंटों का धुआँ” दलित चेतना की सशक्त कहानी है जिसमें कहानीकार ने जातिवाद व सामंती सोच के विरुद्ध मिन्ती जैसे जीवट पात्र की रचना की है।

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