सीता जिस दिन कोई कदम उठाएगी, सारे सच एक झटके में अप्रासंगिक हो जाएंगे…
इस त्रासदी के केंद्र में सीता हैं। दरअसल, रामायण में राम-रावण के युद्ध को अतिरिक्त प्रमुखता दी गई है। यह युद्ध ही जनता की उम्मीदों का स्थल है, मुक्ति का क्षण है। यदि आप राम और सीता की प्रेमकथा के चौखटे में देखें तो यह युद्ध एक गौण प्रसंग से ज्यादा कुछ नहीं लगेगा।
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