संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने उठायी किसानों की आवाज़!

आज संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46वें सत्र के संबोधन में संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल ने ज़ोर देकर कहा कि किसान जिन 3 केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे है, वे कानून संयुक्त राष्ट्र के “किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य कामगारों के अधिकारों की घोषणा” का उल्लंघन करते हैं।

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किसान सबसे बड़े राष्ट्रवादी हैं, वे राष्ट्र की अच्छी छवि के रक्षक हैं: संयुक्त किसान मोर्चा

किसानों की परेड मुख्य रूप से शांतिपूर्ण और मार्ग पर सहमत होने पर हुई थी। हम राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं, लेकिन किसानों के आंदोलन को ‘हिंसक’ के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता क्योंकि हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा की गई थी, जो हमारे साथ जुड़े नहीं हैं। सभी सीमाओं पर किसान कल तक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी-अपनी परेड पूरी करके अपने मूल स्थान पर पहुंच गए थे।

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दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर होगी 26 जनवरी को किसान परेड, राजनीतिक पार्टी का झण्डा वर्जित

परेड आउटर रिंग रोड पर होगी। परेड में वाहनों में झांकियां शामिल होंगी जो ऐतिहासिक क्षेत्रीय और अन्य आंदोलनों के प्रदर्शन के अलावा विभिन्न राज्यों की कृषि वास्तविकता को दर्शाएंगी। सभी किसान वाहनों पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराएंगे और इसमें किसान संगठन के झंडे भी। किसी भी राजनीतिक पार्टी के झंडे को अनुमति नहीं दी जाएगी।

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SC द्वारा नियुक्त किसी भी समिति की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेंगे: संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त मोर्चा प्रतिनिधिमंडल से सलाह करने वालों में बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शनपाल, प्रेम सिंह भंगू, राजिंदर सिंह दीप सिंह वाला, जगमोहन सिंह शामिल थे. वकीलों की टीम में वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, कोलिन गोन्सालविस और एचएस फुल्का शामिल थे.

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