डिक्टा-फ़िक्टा: नाराज़गी, नफ़रत और नकार से ही चलता है सोशल मीडिया का कारोबार

अपने धंधे को चमकाने के लिए सोशल मीडिया जिस मानवीय भावना का दोहन करता है, वह है नाराज़गी और नफ़रत. इस बारे में कई शोध हो चुके हैं. यही भावना पोस्ट या ट्वीट के वायरल होने को संभव बनाती है और इसे प्रोमोट कर प्लेटफ़ॉर्म अपना इंगेजमेंट बूस्ट करते हैं.

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डिक्टा-फिक्टा : ‘ऐक्शन’ का विकल्प नहीं है ‘कैंसिल कल्चर’

अपने विचारों को चुनने और उसके अनुसार व्यवहार करने तथा उससे अलग या विरोध में खड़े विचारों व व्यक्तियों की आलोचना करना या उनका विरोध करना मानव सभ्यता के मूलभूत आचरणों में शामिल है. तो, फिर कैंसिल कल्चर’ को लेकर इतनी चिंता क्यों होनी चाहिए?

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