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‘आत्मनिर्भर भारत’ में केंद्र से कर्ज लेकर घी पी रही है हिमाचल प्रदेश की सरकार!
खुद प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से इतना भी हासिल नहीं कर पाती कि वह अपने कर्माचारियों का वेतन दे सके। यहां तक कि आदिवासी व अनुसूचित जाति सब-प्लान, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मदों से भी बजट का पैसा बचाया जा रहा है। विकास कार्यों पर जितना पैसा खर्च किया जाता है लगभग उतना ही पैसा सरकार का ब्याज चुकाने में चला जाता है।
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