बात बोलेगी: जो संस्थागत है वही शरणागत है!
शादी-ब्याह या किसी सामुदायिक आयोजन में किसे जाना है, किसे बुलाना है, कितनों को बुलाना है जैसे मसले कभी इन संस्थाओं के अधीन नहीं रहे, लेकिन कोरोना महामारी के बहाने राजकीय संस्थागत प्रभावों से मुक्त इस नितांत अनौपचारिक कहे जाने वाले कार्य-व्यवहार को संस्थागत राजनैतिक ढांचे में ला दिया है।
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