उत्तर प्रदेश का आज़मगढ़ दलितों की कत्लगाह बनता जा रहा है। एक के बाद दलितों पर हो रहे ऊंची जाति के दबंगों के हमले ने एक पैटर्न बना दिया है और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। अभी दलित ग्राम प्रधान की लाश की राख ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि एक बार फिर सवर्ण सामन्तों ने दलित समुदाय पर रौनापार गांव में हमला कर दिया और पूरे परिवार को मार डालने की चेतावनी देकर चले गये। इन दोनों ही मामलों में रिहाई मंच ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए दोनों घटनास्थलों का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट जारी की है।
रौनापार से होकर आये मंच के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को पीड़ित परिवार के मुखिया सुरेश ने बताया कि उनका बेटा रोहन रौनापार के बिलरियागंज रोड पर स्थित सुधीक्षा अस्पताल में सोने के लिए जा रहा था। पिंटू सिंह के लड़के ने उसे रास्ते में रोका और पूछा कि वो यहां क्यों घूम रहा है। बताने पर कि सोने जा रहा हूं, उन लोगों ने कहा कि वापस जा और यह कहते हुए हाथ मरोड़कर मारने लगे। वे कहने लगे कि बुला अपने बाप को, और यह कहते हुए उसके घर आ गये। उन्होंने सुरेश पर हॉकी-डंडे से हमला कर दिया। बीच-बचाव करने गयीं उनकी पत्नी आशा देवी और मां रामवती को भी वे मारने लगे जिसमें उनकी बुजुर्ग मां को गंभीर चोटें आयीं। आशा देवी और सुरेश भी घायल हो गये।
घटना रौनापार थाने के ठीक बगल की है पर पुलिस ने गंभीरता से इसे संज्ञान में नहीं लिया, न ही अस्पताल में मुआयना कराया या एफ़आइआर दर्ज की। गांव वालों ने बताया कि घटना में शिवम सिंह, शुभम सिंह, बसंत, प्रशांत, बलजीत, बल्लू, प्रवेश सिंह, विपिन और जनार्दन सिंह शामिल थे। जैसे ही गांव वाले आये, सभी भाग खड़े हुए।
आज़मगढ़ में हो रहे दलित उत्पीड़न को रोक पाने में असमर्थ प्रदेश सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। उससे इन सामंती तत्वों का मनोबल इतना बढ़ा है कि पिछले दिनों दलित प्रधान की हत्या करने के बाद इन्होंने उनके घरवालों को आकर बताया कि हत्या कर दी, जाओ लाश उठाओ। इसी इलाके में पिछले दिनों दलित मजदूर की हत्या कर के लाश घर पर फेंक दी गयी थी और अब रौनापार थाने के बगल की यह घटना सामने आयी है।
अभी चार दिन पहले ही दलित प्रधान की आज़मगढ़ में हत्या हुई। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज़मगढ़ में दलित प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू प्रधान की हत्या का संज्ञान लेते हुए रिहाई मंच ने तरवां थाना अंतर्गत बांसगांव का भी दौरा किया जहां प्रधान के परिजनों ने जातिगत कारणों से हत्या का आरोप लगाया था।
ग्राम प्रधान 30 सदस्यों वाले एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते थे। परिजनों का कहना है कि काफी सोच-विचार के बाद उनका नाम ‘सत्यमेव जयते’ रखा गया था। वहीं उनके भतीजे का नाम दास प्रथा समाप्त करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के नाम पर ‘लिंकन’ रखा गया। मृतक प्रधान के तीन बच्चे हैं, जिसमें से सबसे बड़ी की उम्र 12 साल है।
रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल को प्रधान के बड़े भाई और आर्मी से रिटायर्ड भूतपूर्व हवलदार रामप्रसाद ने बताया कि उनके भाई की हत्या को श्रेयांश कुमार दुबे, विवेक सिंह उर्फ गोलू, विजेंद्र सिंह उर्फ गप्पू और वसीम ने मिलकर अंजाम दिया है।
घटना के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले श्रेयांश अपना चरित्र प्रमाण पत्र बनाने को कह रहा था। उसके पिता ने प्रधान को मना किया था इसलिए प्रधान ने मना कर दिया, जिसके बाद कई बार वो इस विषय पर घर आया। घटना से दो दिन पहले श्रेयांश रात में शराब पीकर आया और प्रमाण पत्र न बनाने पर गाली दी और मारने की बात कही। इसके बाद 14 अगस्त को श्रेयांश प्रधान को बुलाकर ले गया और कहा कि चलो गप्पू सिंह बुला रहे हैं। प्रधान साथ में अपनी गाड़ी से चल दिये, पर कुछ आगे जाने के बाद एक आटा चक्की के पास से श्रेयांश ने प्रधान को अपनी गाड़ी में बैठा लिया और साथ ले गया, जहां इन लोगों ने पहले से शूटर बुला रखा था और उन लोगों ने वहां इनकी हत्या कर दी।
प्रधान की हत्या के बाद ग्रामीणों के विरोध दर्ज करने के दौरान एक बच्चे के मौत हो गयी। मृतक सूरज के चचेरे भाई दीपक बताते हैं कि प्रधान की हत्या की बात जानने के बाद गांव में आक्रोश की लहर थी। ‘’हमने अपना प्रतिनिधि खोया था, हम लोग उसका विरोध कर रहे थे, तभी पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। उसी दौरान पुलिस की दो गाड़ी गुजरी जिनमें एक सीओ की गाड़ी थी जिसकी चपेट में आने से मेरे भाई की मौत हो गयी। पुलिस ने घटना को छुपाने के लिए अज्ञात वाहन पर मुकदमा लिखा है।‘’ गांव वालों का सवाल है कि पुलिस के इतने बंदोबस्त में अज्ञात गाड़ी कैसे वहां आ गयी।
मृतक प्रधान सत्यमेव जयते के बड़े भाई रामप्रसाद ने बताया कि घटना के दूसरे दिन 15 अगस्त की दोपहर 2 बजे डीएम साहब गांव में आये और आश्वासन दिया कि 24 घंटे में अपराधी सलाखों के पीछे होंगे। दोनों परिवारों को 5-5 लाख रुपये का चेक दिया। प्रधान के बड़े भाई मांग करते हैं कि एक जनप्रतिनिधि की हत्या हुई है इसलिए योगी सरकार इसे संज्ञान में ले और उनके पत्नी और बच्चों की देखभाल के लिए उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी मुहैया कराये और 50 लाख रुपये राहत के लिए दे।
गांव में जिस बालक की मौत हुई है उसके पास रहने के लिए घर नहीं है, ऐसे में उसके लिए घर और उसके माता-पिता को भी राहत राशि 50 लाख रुपये दे। एफआइआर की कॉपी और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी कुछ नहीं मिला है।
पति की मौत के सदमे में पड़ी प्रधान की पत्नी ने न्याय की भीख मांगते हुए कहा, ‘’जैसे मेरे पति की हत्या हुई है सरकार उसी तरह से दोषियों को फांसी दे। क्या योगी सरकार के दिए हुए पांच लाख से मेरे पति वापस आ जाएंगे? मेरे बच्चों के सिर पर बाप का साया वापस आ जाएगा? मुझे न्याय चाहिए।‘’ प्रधान की पत्नी कहती हैं कि अगर सरकार उन हत्यारों को सजा नहीं देती है तो सरकार भी उतनी ही दोषी होगी जितने कि वे हत्यारे हैं।
सत्यमेव जयते की हत्या स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन पहले हुई। उनकी भतीजी पूछती हैं, ‘’यह कैसी आजादी है? क्या इस सरकार में हम लोग आजाद हैं? क्या योगी सरकार मेरे छोटे-छोटे भाइयों और मेरी बहनों के सर के ऊपर उनके बाप का साया लौटा सकती है?” वे सरकार को भी उतना ही दोष देती हैं जितना हत्यारों को और सरकार के दिये हुए मुआवजे पांच लाख की जगह पर पचास लाख के मुआवजे की मांग रखती हैं। उनके अनुसार जिस तरह से किसी विधायक और सांसद के परिवार को ऐसी स्थिति में सहयोग मिलता है वैसे ही सरकार इस परिवार का सहयोग करे क्योंकि वे भी एक जनप्रतिनिधि थे।
मामला यहीं पर नहीं थम रहा है। परिवार को तमाम प्रकार की धमकियां आ रही हैं। भतीजी कहती हैं, ‘’ कोई आकर गांव में यह बताया और चैलेंज करके गया है कि अभी तो एक हत्या हुई है, अभी तो नौ हत्याएं बची हुई हैं। आखिर किस प्रकार से हम मान लें कि हम सलामत हैं?”
रिहाई मंच ने मृतक प्रधान की भाभी से भी बात की। वे अपनी देवरानी यानी मृतक की पत्नी को एक सरकारी नौकरी, बच्चों को निशुल्क शिक्षा और उनके लिए एक घर की मांग रखती हैं। वे कहती हैं, ‘’आज बिटिया 9 साल की है, कल जब वह 21 साल की होगी तो शादी विवाह किस प्रकार से होगा। उसके भविष्य को देखते हुए योगी सरकार हमारी मांगों को पूरा करे। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम ऐसी सरकार का बहिष्कार करते हैं।‘’
रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव कहते हैं कि आज़मगढ़ के जिस क्षेत्र में ये घटनाएं अंजाम दी जा रही हैं गुंडाराज को खत्म करने के नाम पर, उसी क्षेत्र के कई दलितों और पिछड़ों की एनकाउंटर के नाम पर हत्या की जा चुकी है और कई अन्य के पैरों में गोली मारी गयी है। इनमें से कई मामले न्यायालय व मानवाधिकार आयोग में विचाराधीन हैं। क्षेत्र के कई लोगों का आरोप है कि उन एनकाउंटरों को सामंती तत्वों के इशारे पर अंजाम दिया गया था।
रिहाई मंच द्वारा जारी विज्ञप्तियों पर आधारित