झारखंड: PESA कानून के तहत स्वशासन की आदिवासी परंपरा को पुनर्जीवित करने का मौका

प्रवासी मजदूरों के लिए जो कोई और सरकार न कर पाई वह मौजूदा झारखंड सरकार ने किया है वीर भारत तलवार (प्रभात खबर, 10-जून-2020) यह एक प्रतिष्ठित विचारक द्वारा झारखंड …

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सोनभद्र के आदिवासी नरसंहार तक जाती हैं बनारस के मुसहरों के अंकरी कांड की जड़ें

बनारस के कोइरीपुर में मुसहर समुदाय की भूख के सवाल पर सरकार की खूब छीछालेदर हुई। लॉकडाउन के दौरान अंकरी प्रकरण को लेकर जिस वक्त विपक्ष, सत्तारूढ़ दल को घेरने …

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आधुनिक भारत के निर्माता राम प्रसाद ‘बिस्मिल’

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में हैदेखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है भारत की आज़ादी के आंदोलन में ये पंक्तियां क्रांतिकारियों का मशहूर नारा बनी। 1921 में बिस्मिल …

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जाति, पूंजी और सम्प्रदाय के हाथाें कैसे उजड़ गयी पूर्वांचल की समाजवादी ज़मीन: कुछ संस्मरण

यह लेख कुछ घटनाओं और संस्मरणों के माध्यम से पिछले दो दशकों के पूरब के बदलते आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को समझने की एक कोशिश है। साथ ही प्रशासन और …

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डिजिटल शिक्षा और बढ़ती खाई: EWS कोटे के संदर्भ में

दुनिया में कोरोना महामारी बहुत तेजी से फैल रही है. इसी के चलते भारत में भी 24 मार्च से लॉकडाउन कर दिया गया जिसके चलते सभी स्कूलों को भी बंद …

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जॉर्ज फ़्लॉयड की हत्या के व्यापक प्रतिरोध की ऐतिहासिक परम्परा और कुछ सबक

अमेरिका के वर्तमान विरोध-प्रदर्शन क़रीब 300 से अधिक शहरों में आयोजित किये गये। ये प्रदर्शन पूरे देश में फैले हैं जो एक प्रकार की अनोखी बात है। अमरीकी इतिहास में …

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दिकू इतिहासकारों के फुटनोट में सीमित रह गया उलगुलान का नायक बीरसा

अमर शहीद बीरसा मुंडा 19वीं सदी के अंतिम दशक में हुए स्वतंत्रता आंदोलन के महान लोकनायक थे। उनका ‘उलगुलान’ (आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर दावेदारी का संघर्ष) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के …

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नेशनल लॉ युनिवर्सिटी में ठेका मजदूरों से अन्याय के मुद्दे पर मौन शैक्षिक बिरादरी से कुछ सवाल

शैक्षिक समुदाय का क्या दायित्व बनता है, विशेष रूप से एक विधि विश्वविद्यालय में उसकी स्थापना के वर्ष 2008 से कार्यरत सफाई कर्मचारियों को यदि ठेका परिवर्तन के चलते निष्ठुरता …

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एक विचार की तरह याद किए जाएंगे सम्यक प्रकाशन के संस्थापक शांति स्वरूप बौद्ध

दिनांक 6 जून 2020 को सम्यक प्रकाशन के संस्थापक शांति स्वरूप बौद्ध का परिनिर्वाण हो गया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1949 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने हिंदी में दलित …

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आज भी अधूरा है मार्टिन लूथर किंग का सपना

वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम …

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