ट्रेन से कट कर जान देने वाली आयुषी में देखिए महिला सशक्तिकरण के ‘योगी मॉडल’ का सच!

उत्तर प्रदेश में 181 रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति विमेन हेल्पलाइन के उन्नाव जिले में काम करने वाली 32 वर्षीय आयुषी सिंह ने कानपुर में ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। वजह यह थी कि उसे ग्यारह महीने से वेतन नहीं मिला था और उसे नौकरी से निकालने का नोटिस 5 जून को दे दिया गया था। आयुषी की पांच साल की बेटी है और उसका विकलांग पति है।

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सिक्किम: लॉकडाउन ने दो-तिहाई परिवारों की मासिक आय को आधे से भी कम कर दिया

हमारे नमूने में प्रति व्यक्ति 24 हजार रुपये से अधिक की मासिक आय वाले केवल दो परिवार हैं, लेकिन 40 फीसदी से ज्यादा (150 में से 62) उत्तरदाताओं ने बताया है कि घोषणा के दो महीने बाद भी लॉकडाउन के दौरान उन्हें मुफ्त राशन नहीं मिला है। केवल 7 उत्तरदाताओं ने बताया है कि उन्हें अपने जन-धन खाते में धन प्राप्त हुआ है।

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ओडिशा के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र कटक में लोग शहरी रोजगार गारंटी की मांग क्यों कर रहे हैं?

विभिन्न आय वर्गों के लिए लॉकडाउन से पहले मासिक प्रतिव्यक्ति आय और लॉकडाउन के दौरान मासिक प्रतिव्यक्ति आय के अनुपात को यदि हम देखें, तो हम पाते हैं कि यह अनुपात शीर्ष 20 फीसदी परिवारों के लिए महज 35 फीसदी है जबकि सबसे नीचे के 20 फीसदी परिवारों के लिए यह 85 फेससदी तक जाता है

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सतत विकास के लिए आयु-अनुकूल व्यापक यौनिक शिक्षा क्यों है ज़रूरी?

इस शिक्षा को आप कोई भी नाम दे सकते हैं- ‘लाइफ स्किल्स एजुकेशन’ या ‘हेल्थ एजुकेशन‘, या ‘कम्प्रेहेन्सिव सेक्सुएल्टी एजुकेशन (सीएसई – व्यापक यौनिक शिक्षा). महत्वपूर्ण बात यह है कि इस शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है: युवा वर्ग को अपनी व्यक्तिगत गरिमा तथा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए समुचित जानकारी उपलब्ध कराना तथा एक सकारात्मक सोच विकसित करके जेंडर समानता की ओर अग्रसर होना।

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बिहार: नीतीश कुमार की आखिरी पारी साबित हो सकता है यह चुनाव

भाजपा अपनी राजनीति में बहुत स्पष्ट है और कमज़ोर आदमी को ग़ुलाम बनाना चाहती है। बिहार में स्थिति जितनी ख़राब होगी राज्य सरकार के लिए उतनी ही कठिन और अनुकूल होगी और यह माहौल भाजपा के लिए लाभदायक होगा। भाजपा का मानना है कि मध्यम वर्ग और व्यापारी समुदाय पहले ही की तरह उनके साथ बने रहेंगे लेकिन नीतीश कुमार, भाजपा की इस सस्ती और घटिया राजनीति को समझने में नाकाम रहे।

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बलात्कार पीड़िता पर ही दोषारोपण करने के मामले में जज को हटानी पड़ी आपत्तिजनक टिप्पणी

कुछ दिन पहले 22 जून को कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने बलात्कार के एक मामले में संदिग्ध को जमानत दी थी। दरअसल, राकेश बी. बनाम कर्नाटक राज्य के इस मुकदमे में न्यायाधीश महोदय ने बलात्कार के अभियुक्त को गिरफ्तारी पूर्व जमानत देते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता उस कथित अपराध के बाद सो गयी थी ‘‘जो एक स्त्री के लिए अशोभनीय है; यह वह तरीका नहीं है जैसी कि हमारी महिलाएं व्यवहार करती हैं जब उन्हें प्रताडित किया जाता है।’’

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कानून का राज होता यहां तो दो ‘गज’ दूरी के चक्कर में नप गया होता पूरा देश!

विधिक माप अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा पोस्टर विज्ञापन अथवा दस्तावेज़ में मीट्रिक प्रणाली के अलावा नाप जोख की किसी दूसरी प्रणाली के शब्द का इस्तेमाल कानूनन जुर्म है, जिसके लिए दस हज़ार रुपए का जुर्माना या एक साल तक की सज़ा हो सकती है।

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“एक अश्वेत दास के लिए 4 जुलाई क्या मायने रखती है?” फ्रेडरिक डगलस का ये सवाल आज भी जिंदा है!

डगलस ने हज़ारों दासों की बेड़ियों की बात रखी जो आज़ादी के बावजूद भी आज़ाद नहीं हो पाए थे (अलग-अलग राज्यों ने अपने-अपने अवरोधक कानून बना दिए थे), और उनकी यातनाओं का उल्लेख किया। उनके उत्पीड़न के यथार्थ में अमरीका को उन्होंने मिथ्यावादी और खोखला पाया। दासता अमरीका की बहुचर्चित और अद्वितीय मानी जाने वाली आज़ादी पर एक धब्बे समान थी।

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चेयरमैन पद पर अम्बानी का रास्ता साफ़ करने के लिए जगदीश उपासने बनाये गये भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष?

बीती फरवरी में ए. सूर्यप्रकाश प्रसार भारती के चेयरमैन पद से सेवामुक्त हुए थे, तब से यह पद खाली है. सूर्यप्रकाश लगातार दो कार्यकाल तक चेयरमैन रहे. उनके जाने के बाद से प्रसार भारती के बोर्ड में 13 पद खाली पड़े हुए हैं.

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आज से शुरू हुई लाखों कोयला मजदूरों की हड़ताल का समर्थन हर देशभक्त को क्यों करना चाहिए?

जिन लोगों ने ‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ नामक फिल्म देखी होगी उसने यह पाया होगा कि कोयले के राष्ट्रीयकरण के पहले कैसे गुलामों की तरह कोयला मजदूरों की जिंदगी थी। इस बात को अस्सी के दशक में बनी फिल्म ‘काला पत्थर’ में भी दर्शाया गया है। इन गुलामी के दिनों की वापसी के खिलाफ कोयला मजदूरों की यह तीन दिवसीय हड़ताल है जो आज से शुरू होकर 4 जुलाई तक चलेगी।

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