क्या भाजपा और संघ ने 2024 की पटकथा लिख दी है?

नतीजों से साफ है कि इन तीनों ही राज्यों में कांग्रेस अपने मतदाताओं को जोड़े रखने में सफल रही है जबकि भाजपा ने अन्य दलों अथवा निर्दलीय के समर्थन में जाने वाले मतदाताओं को प्रभावित कर अपने पाले में लाने में सफलता प्राप्त की है। मगर, न ही कांग्रेस और न ही दीगर दलों के नेताओं को यह नजर आ रहा है। वे आज भी इस तथ्य पर गौर न करते हुए ईवीएम को कोसने में मशगूल हैं।

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छत्तीसगढ़: ‘छोटे मोदी’ का नरम हिन्दुत्व और भोंपू मीडिया असली के सामने हार गया है!

पांच साल पहले भाजपा को ठुकरा कर जनता ने कांग्रेस को मौका दिया था कि वह भाजपा की सांप्रदायिक-कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों का विकल्प पेश करे, लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने ‘नरम हिंदुत्व’ की राह पर चलने और आदिवासियों का जल-जंगल-जमीन पर स्वामित्व छीनने की ही राह अपनाई।

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क्या IIT-BHU की सीमा पर दीवार बना कर छात्राएं सुरक्षित रहेंगी?

जिन परिवारों ने विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए कुर्बानी दी क्या हम उन्हें बाहरी मान कर उनके साथ सौतेला व्यवहार करेंगे? क्या हम विश्वविद्यालय के द्वार बंद कर गांव वालों को उनकी पुरानी जमीनों पर आने से वंचित करेंगे? याद रखें कि पुराने गांवों के कई पवित्र स्थान इस समय परिसर के अंदर हैं जहां गांव के लोग दर्शन करने आते हैं। हमें सभी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। तभी महिला सभी जगहों पर सुरक्षित रहेगी।

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राजस्थान विधानसभा चुनाव: कांटे की टक्कर में कांग्रेस-भाजपा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार की योजनाओं व खुद के किए कामों को लेकर आश्वस्त हैं कि प्रदेश में दोबारा कांग्रेस की जीत होगी। दूसरी ओर भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले फिर से अपनी राजनीतिक जमीन हासिल करने की भरपूर कोशिश में है। भाजपा के लिए राजस्थान की 25 लोकसभा सीटें 2024 में केंद्र में अपनी सत्ता बनाने के लिए अतिमहत्वपूर्ण हैं।

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चुनाव से पहले किए जाने वाले लोकप्रिय वादों और दावों पर रोक का जटिल सवाल

उच्चतम न्यायालय ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों द्वारा लगातार की जा रही घोषणाओं पर संबन्धित राज्य सरकारों, केंद्र सरकार तथा चुनाव आयोग को नोटिस देकर अपना पक्ष रखने को कहा है।

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हरियाणा में इस बार किस फिराक में है बहुजन समाज पार्टी?

बसपा सुप्रीमो ने हरियाणा में समय से पहले चुनाव की आशंका को देखते हुए एक और चुनावी बाजी के लिए पदाधिकारियों को इसी वर्ष जुलाई में सचेत किया था। दिल्ली मीटिंग में मायावती ने हरियाणा के चुनाव को लेकर खास निर्देश भी दिए थे। मायावती की रणनीति अबकी बार ‘सर्व समाज’ को साथ ले कर हरियाणा में चुनाव में उतरने की है।

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फासिस्ट हिंसा का सौम्य मुखौटा है सामाजिक डार्विनवाद

क्या हमारा वैज्ञानिक समुदाय इतना सक्षम है कि भविष्य में वह धुर दक्षिणपंथियों, फासीवादियों और बाजारवादियों द्वारा फैलायी जाने वाली हिंसा और डार्विनवाद के आधार पर उस हिंसा के वैचारिक बचाव पर रोक लगा पाएगा?

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हिमाचल का भविष्य तो सामने है लेकिन मुनाफे की हवस का इलाज क्या है!

इससे पहले 1971, 1988 और 1995 में ब्यास ने सब कुछ तबाह कर दिया था, लेकिन लोग 2023 की बाढ़ को सबसे अधिक खतरनाक मान रहे हैं। इस बार जो नुकसान हुआ, बह कई गुना अधिक है। नदी का रुख मुड़ने से पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंचा, जो तबाही का कारण बना। नदी का तटीयकरण न होने से भी पानी रिहायशी इलाकों तक पहुंच गया।

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क्यों आंदोलन कर रहे हैं देश भर के मनरेगा मजदूर?

निखिल डे बताते हैं, “मनरेगा के तहत वित्त वर्ष 2022-23 में जनवरी तक करीब 16 हजार करोड़ रुपए का भुगतान नहीं हो पाया है जो कि साल खत्म होने तक 25 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है.”

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महाराणा प्रताप के लिए लोहे को शस्त्र में ढालने वाली औरतें आज भी भटक रही हैं!

ये लोहार मूल रूप से मेवाड़ के थे और शासकों के लिए हथियार बनाते थे! अकबर से हारने के बाद जब महाराणा प्रताप ने अपना राज्य खो दिया, तो लोहारों ने भी खानाबदोशों की तरह जीने की कसम खाई कि जब तक महाराणा प्रताप को उनका राज्य वापस नहीं मिल जाता, वे भटकते रहेंगे।

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