संसद में 1 फरवरी को वर्ष 2021-22 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। इस बजट में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट घटा दिया गया है। पिछले वर्ष 2020-21 का बजट 5029 करोड़ रुपये था जबकि इस वर्ष 2021-22 के लिए 4810.77 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है। पिछले साल से मुकाबले 218.23 करोड़ की कमी की गयी है।
यह कमी शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हुई योजना जैसे पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम में 67 करोड़, मेरिट कम मीन्स स्कॉलरशिप स्कीम में 75 करोड़, मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फेलौशिप स्कीम में 76 करोड़, शिक्षा लोन की इन्टरेस्ट सब्सिडी योजना में 6 करोड़, प्रतियोगी परीक्षा की तयारी योजना में 2 करोड़ की कमी की गयी है। शिक्षा के क्षेत्र में 149 करोड़ की कमी की गयी है। वहीं वक़्फ़ विकास योजना में 5 करोड़ की कमी की गयी है।
इस सरकार का सबसे ज़्यादा ज़ोर स्किल डेव्लपमेंट पर रहता है, नयी मंज़िल योजना में 33 करोड़ की कमी, उस्ताद योजना में 13 करोड़ की कमी, महिला नेतृत्व प्रशिक्षण में 2 करोड़ की कमी, अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम का अंश में 7 करोड़ की कमी की गयी है।
अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कार्यक्रम के तहत रिसर्च में 9 करोड़ की कमी, संस्कृतिक विरासत को सहेजने की योजना हमारी धरोहर में 1 करोड़ की कमी, कम जनसंख्या वाले समूह के लिए 1 करोड़ की कमी इस मद में कुल 11 करोड़ की कमी की गयी है।
भाषाई अल्पसंख्यको के लिए सचिवालय मद में भी 33 लाख की कमी की गयी है। प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम में 210 करोड़ की कमी की गयी है।
यह कटौती दिखाता है कि सरकार अल्पसंख्यक समाज के साथ भेदभाव कर रही है। सरकार नहीं चाहती कि भारत का अल्पसंख्यक समाज विकास के पथ पर बढ़ सके। माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमेटी (MCC) इस बजट को भेदभावपूर्ण बजट मानता है व मांग करता है कि पिछड़े हुए समाज को ऊपर लाने के लिए विशेष प्रावधान के रूप में जनसँख्या के हिसाब केन्द्रीय बजट का कम से कम 10% बजट का आवंटन किया जाये।
(मुजाहिद नफ़ीस, कन्वेनर, माइनॉरिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी)