मध्यप्रदेश के बैतूल में रहने वाले एक वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता अनिल गर्ग ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर एक गारंटी मांगी है। गारंटी इसकी, कि छत्तीसगढ़ राज्य की बीसवीं वर्षगांठ पर एक किताब प्रकाशित करने पर उन्हें नक्सली, आतंकवादी या देशद्रोही न करार दिया जाय।
देश में अपने किस्म का यह शायद पहला और दिलचस्प मामला है जहां एक लेखक ने किताब छापने से पहले सरकार से कोई गारंटी मांगी हो।
अनिल गर्ग जल, जंगल और ज़मीन से जुड़े मसलों के प्रामाणिक विशेषज्ञ हैं। वे बैतूल में रहते हैं ओर बरसों से आदिवासियों व किसानों के बीच काम करते आये हैं। उन्होंने बीते सत्तर साल के दौरान किसानों के साथ हुए अन्यायों पर एक प्रामाणिक दस्तावेज़ी किताब तैयार की है। वे इसी किताब को छापना चाहते हैं, लेकिन इस शर्त पर कि किताब छपने के बाद उन्हें नक्सली, देशद्रोही या आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त न करार दिया जाय।
इसी के लिए उन्होंने 29 अगस्त को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है जिसकी प्रति छत्तीसगढ़ के सभी मंत्रियों, विधायकों और सलाहकारों को भी भेजी है।
To-CM-Chhattisgarhपत्र के विषय में वे लिखते हैं: ‘’जंगल, जमीन से संबंधित तीन मुख्य विषयों पर राज्य की असफलताओं पर प्रकाशित पुस्तक से संबंधित राज्य सरकार की गारंटी बाबत’’।
आगामी 1 नवंबर 2020 को छत्तीसगढ़ के गठन की बीसवीं वर्षगांठ का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा है कि ‘’26 जनवरी 1950 से 26 जनवरी 2000 तक अविभाजित मध्यप्रदेश और उसके बाद 26 जनवरी 2020 तक छत्तीसगढ़ राज्य के समस्त 19170 राजस्व ग्रामों के ग्रामीण समाज और भूस्वामी किसानों पर किये गये ऐतिहासिक अन्याय और प्रजातांत्रिक व्यवस्था की असफलताओं सहित प्रजातांत्रिक व्यवस्था की मिलीभगत का इतिहास वे पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना चाहते हैं।‘’
वे पूछते हैं कि ‘’आपसे, आपकी सरकार से, आपके सहयोगियों से क्या हमें यह गारंटी मिल सकती है कि 70 वर्षीय इतिहास पर प्रमाणों के साथ प्रकाशित की जाने वाली पुस्तक एवं सामग्री को नक्सलवादी गतिविधि, आतंकवादी गतिविधि, देशद्रोह की गतिविधि जैसे आरोपों में शामिल नहीं किया जाएगा बल्कि पुस्तक में प्रकाशित विषयों एवं प्रमाणों को छत्तीसगढ़ राज्य की प्रजातांत्रिक व्यवस्था अपने मूल्यांकन का आधार बनाएगी।‘’