रोहतक के किसान जय भगवान राणा नामक जिस किसान ने मंगलवार, 19 जनवरी टिकरी बॉर्डर में, धरना स्थल पर ही सल्फास खाकर आत्महत्या की कोशिश की थी आज तड़के दिल्ली के संजय गांधी अस्पताल में वह शहीद हो गया. जयभगवान राणा पुत्र तकदीर राणा गांव पाक्समा ,जिला रोहतक के निवासी थे.
हत्या से पहले उन्होंने एक चिट्ठी लिख है. इसमें भगवान राणा ने लिखा है कि, सरकार इस आंदोलन को केवल दो चार राज्यों के किसानों का आंदोलन कह रही है और किसानों का दावा है कि यह पूरे देश के किसानों का आंदोलन है.
जयभगवान ने अपने पत्र में तरीका बताते हुए लिखा कि ‘इस देश में जितने भी प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश हैं, सभी से दो-दो किसान नेताओं को दिल्ली बुलाओ और सरकार के साथ मीडिया के सामने सभी किसान नेताओं से पूछों कि वो कृषि कानूनों के पक्ष में हैं या खिलाफ हैं. यदि कानूनों के पक्ष में ज्यादा राज्य हैं तो किसानों से प्रार्थना है वो आंदोलन को खत्म करें. यदि कानूनों के खिलाफ ज्यादा राज्य हैं तो सरकार कानूनों को वापस ले’.
इस चिट्ठी की आखिरी लाइन हैं:
“मेरे भारत की पहचान,
मजबूत जवान, मेहनती किसान, भोला इंसान.”
अस्पताल के लिए रवाना होने से पहले पूछा गया तो उन्होंने कहा कि-
समस्या ये है कि दो महीने से किसान यहां बैठे हैं. जिंदा किसानों की कोई सुनवाई नहीं हो रही, हो सकता है मरने के बाद ही कोई सुन ले. इसलिए मैंने सुसाइड करने की कोशिश की है.
गौरतलब है कि मोदी सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ लाखों किसान बीते दो महीनों से इस कड़ाके की सर्दी में खुले आकाश के नीचे सड़कों पर बैठे हुए हैं और वे इन तीनों नये कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. इस आंदोलन में अबतक करीब 70 किसानों की मौत हो चुकी है जिनमें करीब 6 आत्महत्या शामिल हैं. इसके बाद भी सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है और किसान अपनी मांग पर.