कौशिक बसु के साथ राहुल गांधी की बातचीत में जो अनकहा रह गया, उसे भी समझें

पैंतालीस साल पहले के आपातकाल और आज की राजनीतिक परिस्थितियों के बीच एक और बात को लेकर फ़र्क़ किए जाने की ज़रूरत है। वह यह कि इंदिरा गांधी ने स्वयं को सत्ता में बनाए रखने के लिए सम्पूर्ण राजनीतिक विपक्ष और जेपी समर्थकों को जेलों में डाल दिया था पर आम नागरिक मोटे तौर पर बचे रहे। शायद यह कारण भी रहा हो कि जनता पार्टी सरकार का प्रयोग विफल होने के बाद जब 1980 में फिर से चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी और भी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आ गईं। इस समय स्थिति उलट है।

Read More

अमीर किसान, वैश्विक साजिशें और स्थानीय मूर्खताएं

पिछले एनएसएस सर्वेक्षण के अनुसार, पंजाब में एक किसान परिवार की औसत मासिक आय 18,059 रुपये थी। प्रत्येक किसान परिवार में व्यक्तियों की औसत संख्या 5.24 थी। इसलिए प्रति व्यक्ति मासिक आय लगभग 3,450 रुपये थी। संगठित क्षेत्र में सबसे कम वेतन पाने वाले कर्मचारी से भी कम।

Read More

राष्ट्र एक व्यक्ति में बदल जाए, उससे पहले एक आंदोलन क्या राजनीतिक विपक्ष बन पाएगा?

यह बात अभी विपक्ष की समझ से परे है कि किसी एक बिंदु पर पहुँचकर अगर किसान आंदोलन किन्हीं कारणों से ख़त्म भी हो जाता है तो जो राजनीतिक शून्य उत्पन्न होगा उसे कौन और कैसे भरेगा। किसान राजनीतिक दलों की तरह पूर्णकालिक कार्यकर्ता तो नहीं ही हो सकते। और यह भी जग-ज़ाहिर है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन को विपक्षी दलों का तो समर्थन प्राप्त है, किसानों का समर्थन किस दल के साथ है यह बिलकुल साफ़ नहीं है। टिकैत ने भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किया है।

Read More

सुनील दत्त और नरगिस का प्रेम यदि आज के यूपी में होता तो…

किश्वर देसाई द्वारा लिखी गई किताब ‘द ट्रू लव स्टोरी ऑफ नरगिस’ के मुताबिक राज कपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं। आज वैलेंटाइन डे के दिन राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी के बारे में जानना मौजू होगा।

Read More

…आर या पार हो जट्टा तगड़ा होजा: तिहाड़ में गूंजते लहरी नगमे और पैर पर लिखी एक इबारत

मनदीप बाहर आये कुछ कहानियां लेकर। तिहाड़ में बंद किसानों की कहानियां। उनके पास न तो कोई रिकॉर्डर था, न कैमरा, न नोटबुक और न मोबाइल। बाहर आते ही उन्‍होंने अपने नोट्स मीडिया को दिखाये, जो पुलिस की लाठी से सूजे अपने पैरों पर उन्‍होंने लिख मारे थे। उन्‍हीं नोट्स के आधार पर उन्‍होंने एक संक्षिप्‍त कहानी लिखी और जनपथ को भेजी है।

Read More

धर्म और राष्ट्रवाद आधारित समूह ‘अन्य’ के प्रति हमारी संवेदना को क्यों हर लेते हैं? कैसे बचें?

सामान्यतः एक समूह के लोग अपनी आत्मछवि अच्छी करने के लिए अपने समूह से बाहर के लोगों के नकारात्मक पहलू ढूंढते हैं। यही सोच हमें दूसरों की तकलीफों को पहचानने और उनसे सहानभूति करने से रोकती है।

Read More

म्यांमार में तख्तापलट: एक साल के लिए आपातकाल, आंग सान सू की और राष्ट्रपति नज़रबंद

1 फरवरी को जबकि नई संसद को समवेत होना था, सुबह-सुबह फौज ने तख्ता-पलट कर दिया। कई मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और मुखर नेताओं को भी उसने पकड़कर अंदर कर दिया है। यह आपातकाल उसने अभी अगले एक साल के लिए घोषित किया है।

Read More

‘किसान सच्चा पृथ्वीपति है, उसे सरकार से क्यों डरना?’ किसान आंदोलन के लिए गांधीजी के कुछ सबक

आज की हमारी सरकार भले ही किसानों की योग्यता और बुद्धिमत्ता पर संदेह करती हो और किसानों के साथ चर्चा करने वाले अनेक वार्ताकार उन्हें नासमझ के रूप में चित्रित करते हों किंतु गांधी जी उनमें एक आजाद, जाग्रत और प्रबुद्ध नागरिक के दर्शन करते हैं।

Read More

इस आंदोलन का ‘महात्मा गांधी’ कौन है?

किसान आंदोलन को तय करना होगा कि उसकी अगली यात्रा में कितने और कौन लोग मार्च करने वाले हैं! उन्हें चुनने का काम काम कौन करने वाला है?

Read More

दो महीने से चल रहे किसान आंदोलन को समझने के लिए कुछ ज़रूरी बिन्दु

इस समय इस आंदोलन पर बहुत सारे विश्लेषण आ रहे हैं लेकिन उन्हीं विद्वानों के विश्लेषणों पर ध्यान दें जो पिछले कई दशकों से किसानों के हित की बात कर रहे हैं। कॉरपोरेट घरानों के शुभचिंतक विद्वानों के नजरिये को पढ़ते समय भी इन विश्लेषणों की रोशनी में ही उनकी परख करें।

Read More