ऐ लाल फ़रेरे तेरी कसम, हिंदी कभी सही नहीं लिखेंगे हम: फ़र्जी मुठभेड़ में माओवादी नेता किशनजी की हत्या के खिलाफ़ बंग भवन के बाहर शुक्रवार को हुआ प्रदर्शन |
ज़रा ज़ूम कर के देखिए: बैनर मुड़ा नहीं, बिल्कुल तना हुआ है |
अर्थ का अनर्थ: ये गलती पेंटर की है! |
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सोचनीय लापरवाही.