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| नेल्सन मंडेला | 
कभी-कभार कुछ रचनाएं कालजयी हो जाती हैं जो बरसों तक व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का काम करती हैं। ”इनविक्टस” ऐसी ही एक कविता है, जिसे अंग्रेज़ कवि विलियम अर्नेस्ट हेनली (1849-1903) ने लिखा था। इनविक्टस का अर्थ होता है अपराजेय यानी जिसे जीता न जा सके। इस कविता से मेरा परिचय मेरे साथी आदित्य ने करवाया। उन्होंने मुझे ”इनविक्टस” नाम की ही एक फिल्म के बारे में बताया जो नेल्सन मंडेला के जीवन पर बनाई गई थी। इसके बाद मैंने कविता के बारे में पड़ताल की, तो पता चला कि नेल्सन मंडेला ने 27 साल के अपने कारावास के दौरान एक पर्ची पर इस कविता को लिख कर अपने पास सहेजे रखा। मंडेला के मुताबिक यही कविता  थी जिसने उन्हें इतने लंबे कारावास के दौरान जि़ंदा रहने का साहस दिया। वे इस कविता को जेल में साथी कैदियों को सुनाया करते थे। 
”इनविक्टस” के बारे में बर्मा की जनता की नायिका  आंग सान सू की ने लिखा है, ”इस कविता ने मेरे पिता को और उनके समकालीनों को आज़ादी के संघर्ष में प्रेरणा दी है, और दुनिया भर में अलग-अलग वक्त पर इसने तमाम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत का काम किया है।” 
1875 में लिखी गई इस कविता की प्रासंगिकता आज भी है और कल भी रहेगी, लिहाज़ा हिंदी में इसका अनुवाद करने की कोशिश मैंने की है। मुझे और कहीं भी इसका हिंदी अनुवाद नहीं दिखा है। अगर किसी के पास ऐसी कोई जानकारी हो, तो साझा करेंगे। 
अपराजेय (INVICTUS)
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| विलियम अर्नेस्ट हेनली | 
ईश्वर क्या है, ये मैं नहीं जानता 
लेकिन शुक्रगुज़ार हूं उसका कि धरती को बेधती मौत की सुरंग तले 
पैठे गहरे अंधेरे में चिपटी देह के बावजूद 
अजेय है आत्मा मेरी।   
हालात के खूंखार पंजों में कैद 
ना मैं चीखा ना चिल्लाया
बेशिकन रहा चेहरा 
चलता रहा किस्मत का हथौड़ा सिर पर लहूलुहान हुआ माथा 
पर न झुका, न हुआ कभी दोहरा। 
दर्द और आंसुओं के सैलाब के उस पार 
नाचती हैं मौत की परछाइयां 
बरसों से जारी दर्द का ये आलम 
पर दहला न सका मुझको
रहूंगा निडर ऐसे ही 
हर दम।
फर्क नहीं पड़ता मुझको 
हो कितनी भी तंग राह मुक्ति की  
चाहे जितनी भीषण हो नर्क की आग 
मैं 
मालिक अपनी तकदीर का 
अपनी आत्मा का सरताज। 
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बहुत सुंदर ! जितनी सार्थक रचना उतनी ही कलात्मक ! शुभकामनायें !
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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