सबसे अच्छा होता है मौन से निकला सवाल…
अविनाश ने मोहल्ले में मेरे सुबह के पत्र को जगह दे ही दी, कम से कम टिप्पणी में ही सही। उसका जवाब भी दिया है…जवाब क्या सवाल है बाकायदा। अब …
Read MoreJunputh
अविनाश ने मोहल्ले में मेरे सुबह के पत्र को जगह दे ही दी, कम से कम टिप्पणी में ही सही। उसका जवाब भी दिया है…जवाब क्या सवाल है बाकायदा। अब …
Read Moreभाई पंकज पराशर ने ठीक ही कहा था, कि मोहल्ले में इतना लोकतंत्र नहीं कि वहां की जम्हूरिया उस पत्र को प्रकाशित कर सके…मैं अब तक अपने जनपथ पर इसे …
Read Moreसाथियों,बहुत छोटे में बात रखना चाहूंगा। दरअसल, पिछले काफी वक्त से दिल्ली में काम कर रहे कुछ पत्रकार, लेखक इस बात को बहुत शिद्दत से महसूसते रहे हैं कि कम …
Read Moreपिछले कई दिनों से मैं अपने चिट्ठे को अपडेट नहीं कर रहा हूं, कुछ व्यस्तताओं की वजह से और कुछ दिमागी उलझनों के कारण। खैर, पिछले तीन दिनों के भीतर …
Read Moreदोस्तों, अच्छी बात है कि मेरे विवादास्पद पोस्ट की भाषा के बहाने वैयक्तिक स्तर पर ही सही, भाषा को लेकर चिट्ठाकारों के बीच कुछ सनसनी पैदा हुई है। मेरी मंशा, …
Read Moreसाथियों, दो दिन पहले इस ब्लॉग पर किन्हीं सज्जन जितेंद्र चौधरी का कमेंट आया कि आपके ब्लॉग को नारद पर से हटाया जा रहा है। दरअसल, वह टिप्पणी मेरे एक …
Read More27 जनवरी 2007 को एक अद्भुत घटना घटी…पता नहीं यह पहले ही हो गया या हमें पता बाद में चला, एक समूचा शहर अपनी तमाम संवेदनाओं, दावों और मानवीयता के …
Read Moreकमलेश्वर जी के निधन की ख़बर मुझे तीन घंटे बाद मिली…और आश्चर्य मानिए कि जिस सकते में मैं था उससे ज्यादा अफ़सोस था कि तीन घंटे ग़ुज़र गए राजा निरबंसिया …
Read Moreसिलवडिया के फूल यानी अमलतास के फूल…जो गर्मियों में हमारे यहां अपनी वासन्तिक सुगंधहीन लेकिन पीत छटा बिखेरते हैं। सुगंधहीन इसलिए क्योंकि उसकी सुगंध लेने के लिए जाना पडता है …
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