टिटिहरी बोध

चीज़ें फिसल रही हैं खुली मुट्ठियों से…   जाने क्‍यों लगता है अब तक नहीं हुआ जो, वो बस हो जाएगा अभी-अभी।   एक डर तो है ही,   बल्कि पहले से कहीं …

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असंभव संवाद

पार्ट-1 आपको जीने के लिए क्‍या चाहिए?  खुशी।   और खुश रहने के लिए? ढेर सारा पैसा…।  चलिए, पद और नाम भी… जोड़े देते हैं। अब क्‍या बचा? कुछ नहीं…। …

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पीछे हटना आखिरी विकल्प है : बाबूराम भट्टराई

नेपाल की माओवादी पार्टी सीपीएन(एम) के पोलित ब्यूरो सदस्य और नेपाल के पूर्व वित्त मंत्री बाबूराम भट्टराई ने भारत की अपनी चार दिन की यात्रा के दौरान भारत-नेपाल जन एकता …

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कठिन अभिव्‍यक्ति

असाध्‍य वीणा भाग-2 यह कठिन समय की अभिव्‍यक्ति है। समय से भी कठिन- कठिनतर। जो काफी जोर लगाने पर आती भी है, तो जाती बिखर- समय में दम तोड़ती पसलियों …

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कार्ल मार्क्‍स और ग़ालिब की ख़त-ओ-किताबत

क्‍या ग़ालिब और कार्ल मार्क्‍स एक-दूसरे को जानते थे। अब तक तो सुनने में नहीं आया था। लेकिन सच यह है कि दोनों एक-दूसरे को जानते ही नहीं थे, बल्कि …

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फिर बैतलवा डाल पर: चौथी दुनिया का मिथक

गलतियां  सभी से होती हैं। लेकिन ऐतिहासिक गलतियां कुछ ही करते हैं। जैसे सीपीएम ने ऐतिहासिक गलती की थी। उसने माना भी, कि सरकार को बाहर से समर्थन देना कितना …

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