नेत्रहीन नहीं धृतराष्ट्र
हैं वे दृष्टिहीन
एक विकराल युद्ध के
बन गए तमाशबीन
भरी सभा में हुई
एक अस्मिता वस्त्रहीन
महामात्य रहे अचल
भावशून्य मर्म-विहीन
युद्ध छिड़ा सर्वत्र
प्रचंड संगीन
अनगिनत लाशों से
रणभूमि रंगीन
लाखों योद्धा हुए
पञ्च-तत्त्व में विलीन
परिजन बुझी चिताओं में
अस्थियाँ रहे बीन
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे एक
नर-संहार धर्महीन
विध्वंस जन-गण की
युगान्तरी मनोकामना
बस अब एक युग नवीन।
अविरल आनंद दिल्ली स्थित लेखक हैं
कवर तस्वीर: A man runs past the burning funeral pyres of those who died from the coronavirus disease (COVID-19), during a mass cremation, at a crematorium in New Delhi, India April 26, 2021. (Adnan Abidi | Reuters)