याद करें बिहार में सत्ताधारी दल के विधायक अनंत सिंह द्वारा एनडीटीवी के पत्रकारों की पिटाई की घटना को…बड़ी पूंजी से संचालित संस्थान का होने के नाते इन पत्रकारों को तो कुछ राहत भी मिल सकी और मामला सामने आ गया, लेकिन उन पत्रकारों का क्या हो जिनके पीछे न तो कोई बैनर है और न ही मुख्यधारा का कोई समर्थन।
हाल ही में उत्तराखंड के एक पूर्व पत्रकार और राजनीतिक कार्यकर्ता प्रशांत राही को गिरफ्तार कर लिया गया था और सारे मुकदमे वही लगाए गए थे जो बिनायक सेन के ऊपर हैं। ऐसे ही आंध्र में नेट टीवी संचालित करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार श्रीसइलम और केरल के बुजुर्ग पत्रकार गोविंदन कुट्टी को गिरफ्तार किया गया है। पिछले ही माह छत्तीसगढ़ में एक अन्य पत्रकार उज्ज्वल को पुलिस ने माओवादी होने के नाम पर धर लिया।
अफसोस है कि प्रशांत राही जैसे मामले में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसी पत्रकारों की राष्ट्रीय संस्था के वक्तव्य और दिल्ली से गए एक अनौपचारिक प्रतिनिधिमंडल के तथ्यान्वेषण के बावजूद मामला ज्यों का त्यों है और पत्रकार बिरादरी में कोई हलचल नहीं दिखाई देती।
इस परिदृश्य में देश के कुछ युवा पत्रकारों ने मिल कर एक अनौपचारिक किस्म के मंच का गठन किया है और नाम रखा है यूथ जर्नलिस्ट लीग। आज पत्रकार यूनियनों के पतन और निष्क्रियता तथा पत्रकारों के बढ़ते कैरियरवादी रुझान के दौर में ऐसी पहल का स्वागत किया जाना चाहिए।
यह मंच अपना पहला कार्यक्रम पत्रकारों पर बढ्ते हमलों के मसले पर ही केंद्रित कर रहा है। कार्यक्रम की तिथि है 11 फरवरी 2008, स्थान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया और समय दिन में 3.30 बजे। आप सभी पत्रकारों, लेखकों और जनपक्षधर समाजकर्मियों से अपेक्षा है कि इस कार्यक्रम में आकर इसका हिस्सा बनेंगे और आने वाले खतरों के प्रति खुद को तैयार करते हुए अपनी अगली पीढ़ी को भी आगाह करने का काम करेंगे।
यूथ जर्नलिस्ट लीग का सदस्य बनने और इस सम्बन्ध में कोई भी पूछताछ करने के लिए मेल करें
youthjournalistleague@gmail.com

 
                     
                     
                    
यह सार्थक पहल है अभिषेक जी.
कुछ दूसरे कामों से दिल्ली आना है. कोशिश करूंगा कि निर्धारित तारीख तक रूक कर आप लोगों का साथ दूं.
कहीं न कहीं से आवाज उठनी चाहिए। दिल्ली से उठी आवाज की गूंज देश के कोने कोने में सुनाई देखी है। बोल हल्ला आपके साथ है ।
आशीष महर्षि मुंबई
guru, aapke sath hun