पार्ट-1 
आपको जीने के लिए क्या चाहिए?  
खुशी।  
और खुश रहने के लिए? 
ढेर सारा पैसा…।  
चलिए, पद और नाम भी… जोड़े देते हैं। अब क्या बचा? 
कुछ नहीं…। 
फिर आप खुश क्यों नहीं हैं?  
क्योंकि मैं ये नहीं समझ पा रहा, इन चीज़ों के बगैर आप कैसे खुश हैं। 
पार्ट-2 
आप इतने शातिर क्यों हैं? 
बिल्कुल नहीं जी। 
तो क्या मैं पागल हूं? 
ये आप बेहतर जानें। 
नहीं, मैं तो सौ फीसदी ठीक हूं। 
अच्छी बात है। तो फिर आपको मुझसे क्या मतलब?  
नहीं, मुझे लगता है कि आप शातिर हैं। 
जी, मुझे भी लगता है कि आप पागल हैं। 
पार्ट-3 
आप इतने डरे हुए क्यों रहते हैं? 
बिल्कुल नहीं। डर किस बात का। 
तो फिर आप झपट्टा क्यों मारते हैं? 
क्योंकि मेरे पास पंजे हैं। 
पंजे तो मेरे पास भी हैं, फिर? 
तो झपट्टा मारिए।  
लेकिन मुझे इसकी क्या ज़रूरत?
ये आप तय करिए। 
मैं नहीं मारूंगा। 
तो आपके पास पंजे नहीं हैं। 
नहीं, हैं… 
वही तो मैं भी कह रहा हूं।  
पार्ट-4 
आप झूठ क्यों बोलते हैं?
कतई नहीं। 
सच्चाई तो आप भी जानते हैं?
जी हां, बेशक़। 
फिर? 
फिर क्या? 
वही, फिर झूठ क्यों बोलते हैं? 
सच्चाई जानना अलग बात है, बोलना अलग। 
ओहो, यानी आपने मान लिया कि आप झूठ बोलते हैं? 
नहीं। 
आपने तो कहा कि आप सच्चाई जानते हैं, बोलते नहीं? 
जी, आप वाली सच्चाई जानता हूं। 
तो बोलते क्यों नहीं?
क्योंकि मेरा भी एक सच है। 
लेकिन आपका सच तो गलत है, झूठ है?   
ज़ाहिर है, आपके लिए। 
और आपके लिए? 
मेरा सच, मेरा सच है। 
तो मेरे सच का क्या होगा? 
उसे आप बोलिए। 
वही तो बोल रहा हूं। 
तो दिक्कत कहां है? 
आपके सच में… 
थैंक यू। 
पार्ट-5 
आप यार गड़बड़ आदमी हैं। 
लेकिन आप बड़े अच्छे हैं। 
लेकिन मैं आपकी गड़बड़ी आपको बता रहा हूं, उसे मानिए। 
मान रहा हूं, तभी तो आपको अच्छा कह रहा हूं। 
तो उसे सुधारिए। 
क्यों? 
क्योंकि गड़बडि़यां सुधारने के लिए होती हैं। 
यार आप बड़े गडबड़ आदमी हैं… 
अभी तो मैं अच्छा था? 
तो अच्छे बने रहिए, मुझे सुधारिए मत।