
इंदौर: प्रलेस के स्थापना दिवस पर पॉल रॉब्सन और राहुल सांकृत्यायन को याद किया गया
इस अवसर पर विख्यात, क्रांतिकारी नीग्रो गायक पाल राब्सन और हमारे समय के महान यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन का जन्म दिवस होने पर उन्हें याद किया गया।
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इस अवसर पर विख्यात, क्रांतिकारी नीग्रो गायक पाल राब्सन और हमारे समय के महान यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन का जन्म दिवस होने पर उन्हें याद किया गया।
Read Moreइजरायल फलस्तीन युद्ध 1948 से जारी है, जब यूरोपीय देशों ने इंग्लैंड के संरक्षण में इजरायल राष्ट्र की स्थापना की थी। सारी दुनिया से यहूदियों को बुलाकर फलस्तीन में बसाया गया और वहां के मूल निवासियों को अपना ही देश छोड़ने पर विवश किया गया।
Read Moreसांप्रदायिकता से लड़ने वालों को अपनी लड़ाई साम्राज्यवाद की ओर मोड़ना होगी क्योंकि वही सभी समस्याओं के मूल में है। फ़िदेल कास्त्रो ने इसीलिए तीसरी दुनिया के देशों की एकता की बात की थी क्योंकि तीसरी दुनिया के मुल्क़ इकट्ठे होकर साम्राज्य्वाद को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।
Read Moreजब देश में गुलामी का दौर था तब साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिले। आजाद भारत में आज का युवा धार्मिक यात्राओं में ही लीन हैं। प्रेमचंद को पहले ब्राह्मण विरोधी प्रचारित किया गया अब उन्हें दलित विरोधी बताया जा रहा है।
Read Moreतुलजापुरकर ने कहा कि अब बैंकें ग्रामीण इलाकों में ऋण वितरण नहीं करती। ऋण ले चुके किसान भी इस उम्मीद में कर्जा नहीं लौटाते कि सरकारें उसे माफ कर देगी। इसके चलते जरूरतमंद किसान साहूकारों के जाल में फंस कर ऊंचे ब्याज पर ऋण लेने पर विवश हो जाते हैं और उसे चुका पाने में असफल रहने पर आत्महत्या कर लेते हैं। इस मामले में महाराष्ट्र का विदर्भ एवं मराठवाड़ा क्षेत्र सुर्खियों में रहा है।
Read Moreदेश में औपनिवेशिक आजादी के लिए चले जन संग्राम का परिणाम सांप्रदायिक आधार पर देश विभाजन के रूप में सामने आया। देश के बंटवारे का दंश अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी भुगतना पड़ा था जो विभाजन नहीं चाहते थे। ऐसे ही लोगों में धीरेंद्र मजूमदार की मां शांति मजूमदार भी थी। वह मां जिसकी चार संतानों ने अंग्रेजों से हुई लड़ाई में शहादत दी और बाकी चार ने बांग्लादेश के लिए चले मुक्ति संघर्ष में अपनी जान गंवाई।
Read Moreइप्टा द्वारा पाँच राज्यों में 44 दिनों तक निकाली गई “ढाई आखर प्रेम के” सांस्कृतिक यात्रा का समापन इंदौर में गीत, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन के साथ समारोहपूर्वक संपन्न हुआ। सार्वजनिक स्थलों पर जनगीत गाए गये। नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति हुई। इप्टा के कलाकारों ने यात्रा निकालने के कारणों और यात्रा में मिले अनुभवों को साझा किया।
Read Moreकॉमरेड गोविंद पानसरे की स्मृति में प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई द्वारा आयोजित बैठक में विनीत ने कहा कि यह विडंबना ही है कि कॉमरेड पानसरे को देश में उनकी मृत्यु के बाद ही पहचाना जा सका जबकि महाराष्ट्र में तो उनके जनसंघर्षों और लेखन की वजह से उन्हें सभी जानते हैं।
Read Moreविख्यात पत्रकार सईद नक़वी ने जोशी-अधिकारी इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज दिल्ली द्वारा “अफ़ग़ानिस्तान- कल, आज और कल” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के बारे में हमें वही समाचार दिखाये जा रहे हैं जो साम्राज्यवाद के स्वामित्व वाली विदेशी समाचार एजेंसियां दिखाना चाहती हैं।
Read Moreभगत सिंह को सब अपनाना चाहते हैं लेकिन भगत सिंह की वैचारिक विरासत का संवाहक एवं दावेदार वामपंथ है। भगत सिंह मसीहा नहीं थे और ना ही मसीहाई में विश्वास रखते थे। भगत सिंह में वर्गीय समझ थी जो तर्कपूर्ण अध्ययन से मिलती है।
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