उत्तराखंड का स्पार्टकस : त्रेपन सिंह चौहान
जन आन्दोलनों में रहकर जो साहित्य उन्होने रचा है वो कल्पना की डोर के बजाय धरातलीय विषयों से जीवंत होकर, सामाजिक-राजनैतिक अन्याय के खिलाफ बोधगम्य और किस्सागोई रचना शैली में मुखरित हुआ है।
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जन आन्दोलनों में रहकर जो साहित्य उन्होने रचा है वो कल्पना की डोर के बजाय धरातलीय विषयों से जीवंत होकर, सामाजिक-राजनैतिक अन्याय के खिलाफ बोधगम्य और किस्सागोई रचना शैली में मुखरित हुआ है।
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