उसने ‘सत्‍यमेव जयते’ कहा, और उसका परिवार बच गया!

अफज़ल गुरु को हुई फांसी के बाद अब तक उठी तमाम बहसों में  उसके द्वारा अपने वकील सुशील कुमार को लिखी गई चिट्ठी का जि़क्र बार-बार आया है। यह चिट्ठी अब एक …

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‘आपातकाल’ से उबरे संपादक की दिक्‍कतें

अश्वत्थामा ‘हू इज़ प्रोड्यूसर ऑफ़ 8 पीएम शो?’  जी…जी मैं. ‘यू’… ‘दिस इज़ बिगेस्ट शो प्लैन्ड टुडे, शो मी व्हॉट हैव यू डन?’ घड़ी पौने 8 बजा रही थी, और …

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ज़ॉम्‍बी  हर तरफ आवाज़ें हैं आवाज़ें ही आवाज़ें ये साल बहुत बुरा रहने वाला है। क्‍या लोग अब तक गूंगे थे या हम ही बहरे? 16 दिसंबर या 21 दिसंबर …

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टोबा टेक सिंह इत्‍थे है!

अभिषेक श्रीवास्‍तव  प्राथमिक की किताबों में हमें बताया गया है कि भारत एक ‘गणराज्‍य’ है। गणराज्‍य का बुनियादी अर्थ ग्रीक दार्शनिक सिसेरो के मुताबिक वह राज्‍य है जहां की सरकार …

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उदय प्रकाश और आनंद स्‍वरूप वर्मा की टिप्‍पणी: संदर्भ अरविन्‍द गौड़

(”समकालीन रंगमंच” पत्रिका के हंगामाखेज़ लोकार्पण के बाद इसके संपादक राजेश चंद्र के दो पत्रों (एक एनएसडी निदेशक के नाम और दूसरा मित्रों के, दोनों जनपथ पर शाया) से शुरू …

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”पॉलिटिकली करेक्‍ट” अरविन्‍द गौड़ ने नैतिकता की मिट्टी पलीद कर दी!

राजेश चंद्र  मित्रो, 15वें भारत रंग महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के परिसर में विगत 14 जनवरी को आयोजित “समकालीन रंगमंच” पत्रिका के लोकार्पण समारोह में आदरणीय रंगकर्मी …

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