अखिलेन्द्र प्रताप सिंह से उपवास तोड़ने की अपील

11 फरवरी 2014 (फोटो: साभार भड़ास4मीडिया) प्रिय साथी, आप पिछले पांच दिनों से सामाजिक न्याय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर नयी दिल्ली के जंतर-मंतर में अनशन पर बैठे …

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संदिग्‍ध है सुबोध गुप्‍ता की दुर्बोध कला!

धातु की चमक पर फिसलता अतीत का उन्मादी सुख अंजनी कुमार  कला की दुनिया में सुबोध गुप्‍ता एक व्‍यक्ति नहीं, परिघटना का नाम है। एक ऐसी परिघटना, जिसकी पैदाइश और …

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एक आंदोलन के अंतिम पलों की गवाही

मारुति प्रबंधन के सताए मज़दूरों के जले पर नमक छिड़क गए योगेंद्र यादव  न कहीं कोई कवरेज हुई, न किसी को कोई ख़बर। न टीवी के कैमरे आए, न अख़बारों …

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अंजनी कुमार की दो कविताएं

अंजनी कुमार  सरकार डरती है एक सरकार डरती हैदूसरी सरकार सेदूसरी सरकार डरती है अपने आप से,नेता डरता है मीडिया संस्थान सेमीडिया डरता है अपनी अवैध खदान सेन्यायपालिका डरती है …

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जयपुर साहित्‍य महोत्‍सव के विरुद्ध त्रैमासिक पत्रिका ”भोर” का वक्‍तव्‍य

जयपुर साहित्य महोत्सव महज महोत्सव नहीं है और वे भी इस बात को छिपा नहीं रहे हैं। अगर यह सिर्फ महोत्सव होता तो मौखिक भर्त्‍सना ही काफी होती या महज …

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असहमति पर पांच विचार

अभिषेक श्रीवास्‍तव  1 असहमति- एक ख़तरनाक बात थी पिछले दौर में। उन्‍होंने   असहमति के पक्ष में और इसके दमन के विरुद्ध ही अब तक की है राजनीति। वे असहमत …

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शोला बनती है न बुझ के धुआं होती है!

प्रेम भारद्वाज  हमारे समय के तमाम लिक्‍खाड़ों के बीच प्रेम भारद्वाज चुपके से अपना काम कर रहे हैं। एक अदद साहित्‍य पत्रिका ‘पाखी’ का संपादन करते हुए यूं तो उन्‍होंने …

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लेखक क्‍या हत्‍यारों के साझीदार हुए?

2013 में हिंदी साहित्‍य का लेखा-जोखा  रंजीत वर्मा  जब 2013 शुरू हुआ था तब दामिनी बलात्कार कांड को लेकर पूरा देश आंदोलनरत था और जब यह खत्म हुआ, तो खुर्शीद …

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