फॉरवर्ड प्रेस प्रकरण – दूसरी किस्‍त

हक़ीकत के आईने में फ़सानों का कारोबार  फॉरवर्ड प्रेस में कर्मचारियों का शोषण होना और उन्‍हें बात-बात में अपमानित कर देना कोई नई बात नहीं है। पत्रिका का शायद ही …

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हक़ीकत के आईने में फसानों का कारोबार: संदर्भ फॉरवर्ड प्रेस

दिल्‍ली से निकलने वाली पत्रिका फॉरवर्ड प्रेस पर पिछले दिनों हुई पुलिस की कार्रवाई, कार्रवाई के पीछे पत्रिका के प्रबंधन द्वारा महिषासुर-विमर्श से जुड़े कंटेंट का दावा किया जाना और उस संदर्भ …

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दुनिया को खत्‍म करने वालों के खिलाफ़ बारूदी सुरंग है कविता

पलाश विश्‍वास सवा बजे रात को आज मेरी नींद खुल गयी है। गोलू की भी नींद खुली देख, उसकी पीसी आन करवा ली और फिर अपनी रामकहानी चालू। जो मित्र …

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फॉरवर्ड प्रेस प्रकरण: सैद्धांतिक समर्थन के साथ कुछ ज़रूरी सवाल

अभिषेक श्रीवास्‍तव  आज से कोई साढ़े आठ साल पहले यानी 2006 के फरवरी में ”सीनियर इंडिया” नाम की एक व्‍यावसायिक पाक्षिक पत्रिका के दफ्तर पर छापा पड़ा था। उसका विवादास्‍पद …

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कविता का एजेंडा या एजेंडे पर कविता: एक अपील

बहसें पुरानी पड़ सकती हैं, लेकिन नए संदर्भ नित नए सिरे से बहस किए जाने की ज़रूरत को अवश्‍य पैदा कर सकते हैं। मसलन, कुछ लोगों की इधर बीच की …

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हैदर: हसीन वादियों में खूंरेज़ी की दास्‍तान

व्‍यालोक  हैदर नाम की इस फिल्म को अगर आप कश्मीर-समस्या के बरक्स देखेंगे, तो कई तरह की गलतफहमी पैदा होने के अंदेशे हैं। यह मुख्यतः और मूलतः एक व्यक्तिगत बदले …

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सियासत के धुंधलकों में डूबता जनपद: आखिरी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव । ग़ाज़ीपुर से लौटकर  मुहम्‍मदाबाद के शहीद स्‍मारक से बमुश्किल पांच मिनट की पैदल दूरी पर कपड़ा बाजार के बीच दाहिने हाथ पर कुछ सीढि़यों से ऊपर एक …

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सियासत के धुंधलकों में डूबता जनपद: तीसरी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव । ग़ाज़ीपुर से लौटकर   सेमरा गांव में गंगा किनारे कटान का क्षेत्र और ढलती जिंदगी   वास्‍तविकता यह है कि सामंतशाही पर टिकी बहादुरों की इस धरती …

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सियासत के धुंधलकों में डूबता जनपद: दूसरी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव । ग़ाज़ीपुर से लौटकर ग़ाज़ीपुर में बहादुरी के सिर्फ किस्‍से बचे हैं या इसकी कोई ठोस ज़मीन भी मौजूद है, यह हम बाद में देखेंगे लेकिन एक निगाह …

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