इब्ने इंशा: एक शायर, एक दीवाना, जिसका काटा सोते में भी मुस्कुराता है…
जब एक अदीब और शायर गद्य और पद्य दोनों में एक जैसी महारत रखता है तो अक्सर ऐसा होता है कि उसका एक पहलू लोगों की निगाह से ओझल हो जाता है. इब्ने इंशा के साथ भी ऐसा ही हुआ है. कुछ सिर्फ़ उनकी शायरी को जानते हैं और कुछ सिर्फ़ उनके गद्य को.
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