कृषि सुधार के नाम पर लाए गए तीन काले कानूनों को लेकर देश भर में चल रहे आंदोलन के बीच उत्तराखंड के जन आंदोलन की ओर से प्रखर राज्य आंदोलनकारी प्रभात ध्यानी, काशीपुर से किसान नेता अवतार सिंह, चिपको, नशा नहीं रोज़गार दो और नानीसार जैसे जन आंदोलन के नेतृत्वकारी और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने गाज़ीपुर बॉर्डर पर पिछले ढाई माह से बैठे किसानों, किसान नेताओं से मुलाक़ात कर उन्हें उत्तराखंड का जल भेंट कर आंदोलन से अपनी एकजुटता ज़ाहिर की।
गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मंच पर आंदोलन के प्रखर चर्चित नेता राकेश टिकैत एवं उनके साथियों ने उत्तराखंड की पहल का स्वागत किया।
इसके बाद आंदोलन के मंच से उत्तराखंडी नेताओं ने अपने संबोधन में केंद्र की मोदी सरकार पर अंबानी अडानी जैसे पूंजीपतियों के हित में लाए जा रहे इन काले कानूनों का विरोध करते हुए उन्हें वापस लेने की मांग की और प्रधानमंत्री द्वारा संसद में आंदोलनकारियों को परजीवी कहने की तीव्र भर्त्सना करते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री की भाषा उनकी घटिया सोच व तंग ख़याली बौखलाहट का प्रतीक है जिससे प्रधानमंत्री पद की गरिमा कम हुई है।
तिवारी एवं प्रभात ध्यानी ने कहा कि किसान आंदोलन के दमन की साज़िश बर्दाश्त नहीं होंगी। उन्होंने तीनों काले कृषि कानून वापस लेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी लेने की मांग की।