किसान विरोधी तीन काले कानूनों के जरिये खेती-किसानी पर देशी-विदेशी कॉरपोरेटों का आधिपत्य स्थापित करने की साजिश के खिलाफ चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन को मदद करने के लिए 13-14 जनवरी को छत्तीसगढ़ किसान सभा पूरे प्रदेश में छेरछेरा* मांगेगी (*छत्तीसगढ़ में यह पर्व नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाया जाता है। इस दौरान लोग घर-घर जाकर लोग अन्न का दान माँगते हैं।) और धन-धान्य एकत्रित करेगी। यह अभियान पूरे महीने चलाया जाएगा।
किसान सभा राज्य समिति के फैसलों की जानकारी देते हुए अध्यक्ष संजय पराते तथा महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया:
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति तथा संयुक्त किसान मोर्चा के निर्णयों के अनुरूप आज से 20 जनवरी तक पूरे प्रदेश में देश जागृति अभियान चलाया जाएगा।
इस अभियान के दौरान गांव-गांव में संकल्प सभाएं की जाएगी तथा ग्रामीण जनों को कृषि विरोधी कानूनों के वास्तविक मकसद से परिचित कराया जाएगा। इसके साथ ही कृषि विरोधी कानूनों की प्रतियां और मोदी-अडानी-अंबानी के पुतले जलाए जाएंगे।
बैठक में अडानी-अंबानी के उत्पादों और सेवाओं के बहिष्कार के लिए भी अभियान चलाने का फैसला लिया गया है। अन्य संगठनों के साथ मिलकर किसान सभा की ईकाईयां 26 जनवरी को ब्लॉक और जिला स्तर पर गणतंत्र परेड भी आयोजित करेगी।
बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव पी कृष्णप्रसाद तथा संयुक्त सचिव बादल सरोज भी शामिल थे। देशव्यापी किसान आंदोलन को स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष बताते हुए उन्होंने कहा:
इस आंदोलन को कमजोर करने और इसमें फूट डालने की मोदी सरकार की सभी साजिशें विफल हुई है और इन काले कानूनों की वापसी के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए देश के सभी मेहनतकश संकल्पबद्ध हुए हैं।
उन्होंने कहा:
काले कानून खेती-किसानी और देश के किसानों के लिए मौत का परवाना है, इसलिए इनकी वापसी से कम कुछ भी किसानों को मंजूर नहीं है और इन कानूनों में संशोधनों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
किसान सभा नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान जब 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर गणतंत्र दिवस की परेड करेंगे, किसान सभा भी अन्य संगठनों के साथ मिलकर प्रदेश में जिला व ब्लॉक स्तर पर परेड का आयोजन करेगी।
किसान सभा (छत्तीसगढ़) द्वारा जारी
(कवर फोटो: छत्तीसगढ़ सन्देश से साभार)