संपादकों की सबसे बड़ी संस्था एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने आखिरकार उत्तर पूर्व में पत्रकारों पर हो रहे हमलों की ओर नज़र घुमायी है और अपनी कार्यकारिणी की पूर्व सदस्या, वरिष्ठ पत्रकार और शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पट्रीशिया मुखिम के मामले में एक अहम बयान जारी किया है।
एडिटर्स गिल्ड में वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफ़ा के अध्यक्ष चुने जाने के बाद संस्था का सबसे पहला बयान रिपब्लिक टीवी के मालिक अर्नब गोस्वामी पर आया था, जिससे नाराज़ होकर पट्रीशिया मुखिम ने अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनका कहना था कि वे लंबे समय से गिल्ड का ध्यान अपने केस की तरफ़ खींचने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने कई पत्र भी लिखे हैं लेकिन गिल्ड में नयी कार्यकारिणी बनते ही सबसे पहले अर्नब की सुध ली गयी।
पट्रीशिया उत्तर पूर्व की सम्मानित संपादकों में एक हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने इस सिलसिले में कई ट्वीट भी किए। यहां तक कि गिल्ड में सीमा मुस्तफ़ा के अध्यक्ष चुने जाने पर भी उन्होंने वस्तुपरकता को लेकर कुछ सवाल उठाये थे।
उनकी शिकायत को कई और लोगों ने टि्वटर पर स्वर दिया।
पिछले दिनों जब गिल्ड ने असम के पत्रकारों के संदर्भ में असम के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा तो पत्रकारों पर हमले के विरुद्ध समिति (CAAJ) ने उस पत्र का संदर्भ लेते हुए पट्रीशिया मुखिम के केस पर भी कार्रवाई करने को गिल्ड से कहा। इस पर मुखिम ने ट्वीट में जवाब दिया था कि किसी के रहम की ज़रूरत नहीं है।
उन्होंने एक और ट्वीट में असम पर गिल्ड के बयान पर तंज़ कसा था। इसके तीन दिन बाद ही गिल्ड ने उनके केस को लेकर एक पत्र जारी किया है।