बुद्ध स्थली कुशीनगर स्थित भदंत चन्द्रमणि महास्थविर बुद्ध बिहार के हॉल में संविधान दिवस पर गोष्ठी आयोजित की गई व संविधान को जानने, समझने और उसकी रक्षा का संकल्प लिया गया।
मुख्य अतिथि सामाजिक चिंतक, इतिहासकार प्रो. मोहम्मद आरिफ ने संविधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बेहतर संविधान है जो समस्त नागरिकों को स्वतंत्रता, समता, बंधुता और न्याय पर आधारित समाज निर्माण का अधिकार देता है। बाबा साहब अम्बेडकर ने कमजोर और वंचित लोगों के लिए संविधान में अनेक प्रावधान किए। आज तमाम ऐसी शक्तियां सक्रिय हैं जो संविधान व संवैधानिक मूल्यों खत्म करने की कोशिश में हैं। ऐसे में लोकतंत्र की आत्मा संविधान को लोक हित में लोक के लिए बचाये रखना होगा।
विशिष्ट अतिथि लेखक डॉ. अलख निरंजन ने संविधान के मूल्यों के प्रति खतरों से आगाह करते हुए एकजुट संघर्ष का आह्वान किया। विजय कुमार ने कहा कि संविधान को बचाने के लिए संसदीय प्रणाली में संविधान को मानने वालों को जनप्रतिनिधि बनाकर भेजा जाय और जरूरत पड़े तो देशहित में लोगों को समझना होगा।
सत्येंद्र कुमार गौतम, संजय कुमार सिंह, पूर्व जिपंस जवाहर लाल गौतम, गुड्डी शर्मा, एडवोकेट जितेंद्र पटेल ने अपने विचार दिए। आभार व स्वागत आयोजक शिक्षक अवधेश प्रसाद ने किया और कहा कि भविष्य में इस तरह के संवैधानिक जागरूकता कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों तथा जिले की अन्य तहसीलों में भी आयोजित होगी। इस अवसर पर बसन्त प्रसाद, भरत प्रसाद, शिव सागर, मुकेश गोंड, राधा चरण, राम रतन, नवमी प्रसाद, विश्वनाथ, सुनील यादव, घनश्याम प्रसाद, ललन, शैलेश कुमार, हकीमुद्दीन, नेहा सहित भारी संख्या में महिला पुरुष मौजूद रहे।
इससे एक दिन पहले शांति-सद्भावना मंच, कुशीनगर द्वारा नगरपालिका परिषद कुशीनगर के सिसवा-महन्थ चौराहे पर हुई बैठक में संविधान की रक्षा और सामाजिक सद्भाव का संकल्प लिया गया। मंच के प्रदेश समन्वयक, गांधीवादी विचारक, इतिहासकार प्रो. मोहम्मद आरिफ ने शांति सद्भावना मंच के सदस्य/शांति दूतों को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी चुनावी वर्ष में लोग किसी के बहकावे में न आयें और निर्भीक होकर अपना मतदान करें। एक ऐसी सरकार का चुनाव करें जो समतामूलक समाज का निर्माण तथा रोजगार का अवसर बढ़ाये।
आज की सबसे बड़ी जरूरत है कि आपसी नफरत को खत्म कर सद्भाव कायम किया जाए। मंच इस क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है। हमारा देश साझी विरासत और विविधता का है। हमें गुरु गोरखनाथ, बुद्ध, कबीर, रैदास, नानक, गांधी, अंबेडकर और नेहरू के विचारों को आधार बनाकर समाज निर्माण करने की पहल करनी चाहिए।
आजादी के आंदोलन के दौरान समता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय के जो सिद्धांत विकसित हुए और उन्हें कालांतर में संविधान की उद्देशिका में शामिल किया गया, उसकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। लोकतंत्र संविधान की आत्मा है और धर्मनिरपेक्षता इसकी प्राणवायु। हमें हर हाल में इसे बचाये रखना होगा। महात्मा बुद्ध की धरती ने पूरी दुनिया को शांति और अहिंसा का संदेश दिया। आज विश्व नफरत और हिंसा के मुहाने पर खड़ा है। गाँधीजी ने सत्य-अहिंसा का इस्तेमाल कर विश्व की तत्कालीन सबसे बड़ी ताकत को नतमस्तक होने पर विवश किया था। आज हिंसक हो रहे समाज में शांति स्थापित करने के लिए उसी अहिंसा के अमोघ अस्त्र की जरूरत है। हम सब को मिलकर एक बेहतर समाज निर्माण के लिए प्रयास करना होगा तभी समाज का कल्याण होगा।
इस दौरान संजय कुमार सिंह, शौकत अंसारी, जयराम सिंह, रामप्रीत सिंह, महेश पासवान, उमेश कुशवाहा, वशिष्ट यादव, वीरेंद्र यादव, हृदया नन्द शर्मा, रामानंद प्रसाद, सत्य प्रकाश त्यागी, मन मोहन गोंड, अजय कुमार सिंह, इम्तियाज अंसारी, राम नक्षत्र यादव, राम छबीला शर्मा, बलिकरन यादव आदि मौजूद रहे।
डॉ. मोहम्मद आरिफ़ द्वारा जारी