खोरी गांव की पुनर्वास नीति तैयार नहीं, सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं


खोरी गांव में प्रतिदिन सैकड़ों हजारों घर तोड़ना जारी रहा। घर तोड़ने की कार्यवाही पूरी होने पर अब जमीन समतल करने के नाम पर बिना किसी आश्रय के रह रहे लोगों को पुलिस कार्यवाही का अल्टीमेटम देकर हटाया जा रहा है।

सर्वोच्च न्यायालय के 3 अगस्त के आदेश के बावजूद अभी तक नगर निगम फरीदाबाद ने ऊजड़ों को शिकायतें दर्ज कराने के लिए कोई ई-मेल जारी नहीं किया है। ना ही राधा स्वामी सत्संग पर कोई बैकअप कार्यालय की स्थापना की गई है।

खोरी गांव से उजाड़े गए लोगों में ज्यादातर मजदूर वर्ग के लोग रहे हैं जिन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई या कर्जा लेकर या अपने पीछे के गांव की जमीन जायदाद बेचकर, बैंकों से भी कर्जा लेकर अपने छोटे घरोंदे बनाए थे। लोगों ने खासकर 14 जुलाई 2021 से बहुत बुरा समय देखा है। शारीरिक मानसिक पीड़ा झेली है। हमारा सम्मान भी बुरी तरह गिरा दिया गया है। लॉकडाउन में बेरोजगारी झेली, अब घर भी समाप्त हुआ है। लोग कहीं कहीं किराए पर या रिश्तेदारी में या कहीं सड़क पर और या कहीं ईटों के ढेर पर पड़े हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने 3 अगस्त के अपने आदेश में पृष्ठ संख्या 4 यह आदेशित किया है कि नगर निगम फरीदाबाद, खोरी गांव के उजाड़े लोगों के लिए पुनर्वास नीति को अंतिम रूप दे। अब क्योंकि हरियाणा सरकार स्वयं पूरी नीति को देख रही है इसलिए यह जरूरी है वह लोगों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को मद्देनजर रखे।

रेखा, पिंकी व पुष्पा व अन्य निवासियों ने हरियाणा सरकार को इन सब की बाबत पत्र भेजा है। वादियों ने सरकार से अपील की है कि सरकार को पुनर्वास की प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए जिसमें ऊजड़ों को शामिल किया जाए। उनकी सहमति भी ली जाए। मुख्य रूप से तो पात्रता का दायरा बढ़ाना चाहिए है जिसमें कहीं का भी वोटर आई कार्ड या जिसके साथ खोरी गांव के निवास का कोई भी कागजात जैसे परिवार पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, शादी प्रमाण पत्र, बच्चों का स्कूल दाखिले संबंधी कागजात, प्रॉपर्टी के कागजात, भूमि खरीद के कोई भी कागजात, राशन कार्ड, बैंकिंग अकाउंट, आदि को पुनर्वास का आधार माना जाए।

सबके घर खत्म हुए हैं इसलिए लोगों के लिए जब तक समुचित पुनर्वास ना हो तब तक भोजन की व रहने की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। हजारों परिवारों को एकदम से खोरी गांव से निकाले जाने के कारण आसपास के इलाकों में मकानों के किराए काफी तेजी से बढ़े हैं। इसलिए मकानों का किराया भत्ता कम से कम ₹5000 प्रति परिवार समुचित पुनर्वास होने तक दिलवाया जाए।

सरकार को ये भी कहा है कि पुनर्वास के लिए दी जा रही फरीदाबाद की डबुआ कॉलोनी के फ्लैट बहुत ही बुरी दशा में हैं। किसी तरह की कोई सुरक्षा नहीं है। बिजली-पानी नहीं है। ज्यादातर फ्लैटों में कोई खिड़की दरवाजे तक भी नहीं है।

सर्वोच्च न्यायालय ने 7 जून 2021 के अपने आदेश में वन भूमि से कब्जे हटाए जाने की आदेश दिया था। न्यायालय ने पुनर्वास को राज्य सरकार पर छोड़ दिया था। खोरी गांव के 10,000 से ज्यादा घरों को और लाख से ज्यादा लोगों को उजाड़ने के बाद सर्वोच्च न्यायालय को उतने ही कड़े आदेश पुनर्वास को लेकर भी रखने चाहिए।

हरियाणा सरकार शिकायतें दर्ज कराने के लिए ई-मेल जारी करें व राधा स्वामी सत्संग पर बैकअप कार्यालय की स्थापना करें। हरियाणा सरकार को एक ऐसी पुनर्वास नीति बनानी चाहिए जो देश में एक अलग पहचान रखे।


सहयोग में
इशिता चटर्जी, नीलेश कुमार, मंजू मेनन, विमल भाई व साथी
कंसर्न सिटीजंस फॉर खोरी गांव
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय


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