संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और इससे जुड़े घटक संगठन मोदी सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ 26 मई को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाएंगे और इस सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करेंगे।
आज यहां जारी एक बयान में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम व आलोक शुक्ला, संजय पराते, नंद कश्यप आदि ने बताया कि इस दिन संघ-भाजपा की मोदी सरकार की मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करते हुए ग्रामीण जन अपने घरों व वाहनों में काले झंडे लगाएंगे तथा सरकार का पुतला दहन करेंगे। पूरे राज्य में इस कार्यवाही को छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े 20 से ज्यादा संगठन संगठित करेंगे। किसान आंदोलन ने समाज के सभी तबकों, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से इस आंदोलन का समर्थन करने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि 26 मई को दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के तथा पिछले वर्ष आयोजित देशव्यापी मजदूर हड़ताल के 6 महीने पूरे होने जा रहे हैं। इस दिन ही भाजपा की मोदी सरकार के 7 साल भी पूरे होने जा रहे हैं। इसलिए इस दिन आयोजित कार्यवाहियों का विशेष महत्व है।
किसान आंदोलन के नेताओं ने बताया कि किसान विरोधी तीनों काले कानून और मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने, रासायनिक खादों के मूल्यों में की गई वृद्धि वापस लेने, रासायनिक खादों के मूल्यों में की गई वृद्धि वापस लेने, सभी कोरोना मरीजों का मुफ्त इलाज करने तथा देश के सभी नागरिकों का बिना किसी भेदभाव के मुफ्त टीकाकरण करने, महामारी को देखते हुए सभी गांवों में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ कोविड अस्पताल खोलने तथा दवाओं व ऑक्सीजन की कालाबाज़ारी पर रोक लगाने आदि मांगों को केंद्र में रखकर ये विरोध कार्यवाहियां आयोजित की जा रही है।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन ने प्रदेश के किसानों, ग्रामीण जनता, प्रदेश में कार्यरत सभी किसान संगठनों तथा ट्रेड यूनियनों सहित समाज के सभी तबकों से अपील की है कि देश को बचाने की इस लड़ाई में वे शामिल हों, ताकि भारत को ‘कॉर्पोरेट इंडिया’ में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को विफल करें।
छत्तीसगढ़ किसान सभा, आदिवासी एकता महासभा, राजनांदगांव जिला किसान संघ, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति (कोरबा, सरगुजा), किसान संघर्ष समिति (कुरूद), आदिवासी महासभा (बस्तर), दलित-आदिवासी मजदूर संगठन (रायगढ़), दलित-आदिवासी मंच (सोनाखान), भारत जन आन्दोलन, गाँव गणराज्य अभियान (सरगुजा), आदिवासी जन वन अधिकार मंच (कांकेर), पेंड्रावन जलाशय बचाओ किसान संघर्ष समिति (बंगोली, रायपुर), उद्योग प्रभावित किसान संघ (बलौदाबाजार), रिछारिया केम्पेन, छत्तीसगढ़ प्रदेश किसान सभा, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, परलकोट किसान कल्याण संघ, वनाधिकार संघर्ष समिति (धमतरी), आंचलिक किसान संघ (सरिया) आदि संगठनों की ओर से सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला आदि द्वारा जारी