UP: पूरे प्रदेश में पुलवामा के शहीद जवानों और आंदोलन के शहीद किसानों को श्रद्धांजलि


लखनऊ, 14 फरवरी 2021: संयुक्त किसान मोर्चा के आवाहन पर पुलवामा के शहीद सैनिकों और किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश में कैंडिल जुलूस एवं शोक सभाएं आयोजित कीं। ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा बुलंद करते हुए इन कार्यक्रमों में आरएसएस और भाजपा के छद्म राष्ट्रवाद का भंडाफोड़ किया गया।

एक टीवी चैनल के सम्पादक के वाट्सअप चैट लीक होने के बाद अब ये साफ हो गया है कि भाजपा ने पुलवामा हमले और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक का इस्तेमाल अपने चुनावी राजनीतिक हितों को साधने के लिए किया था। इन श्रद्धांजलि सभाओं के बारे में आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने प्रेस को जानकारी दी।

कार्यकर्ताओं ने कहा-

तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने के किसानों के जारी आंदोलन को दिन प्रतिदिन मिल रहे भारी समर्थन ने प्रधानमंत्री को गहरे अलगाव में डाल दिया है। संसद के दोनों सदनों में दिया गया उनका वक्तव्य इसी बौखलाहट का प्रदर्शन है। इस किसान आंदोलन ने देश को दिखा दिया है कि कथित महामानव प्रधानमंत्री पूंजी की ताकत के सामने बौने हैं।

इसी बौखलाहट का नतीजा है कि उनकी सरकार किसानों की बाड़बंदी करने और किसानों के पक्ष में खड़े नागरिकों व बुद्धिजीवियों के विरूद्ध दुष्प्रचार करने और दमन ढाने में लगी हुई है। यहां तक कि किसानों व आमजन की आवाज उठा रहे न्यूज क्लिक जैसे वेब चैनलों के दफ्तरों पर ईडी के छापे डाले जा रहे हैं और देश के प्रतिष्ठित पत्रकारों के विरूद्ध देशद्रोह के मुकदमें कायम किए गए हैं।

दरअसल किसानों के आंदोलन ने कारपोरेट के लाभ के लिए देश को तबाह करने वाले रास्ते के बरअक्स देश की तरक्की के लिए जरूरी खेती किसानी के विकास के रास्ते के सवाल को सामने ला दिया है। बड़े कारपोरेट घरानों और वित्तीय सम्राटों के सामने नतमस्तक प्रधानमंत्री देश में हर उठ रही आवाज को कुचलना चाहते हैं लेकिन किसानों के जारी आंदोलन ने उनके देश पर तानाशाही थोपने के मंसूबे को ध्वस्त कर दिया है।

आज की श्रद्धांजलि सभाओं का कार्यक्रम लखीमपुर खीरी में आईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, एडवोकेट कमलेश सिंह, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, ज्ञानदास गोंड़, सूरज कोल, श्रीकांत सिंह, रामफल गोंड़, शिव प्रसाद गोंड़, महावीर गोंड, आगरा में वर्कर्स फ्रंट उपाध्यक्ष ई. दुर्गा प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, राम बहादुर पटेल, चंदौली में अजय राय, आलोक राजभर, रामेश्वर प्रसाद, मऊ में बुनकर वाहनी के इकबाल अहमद अंसारी, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र, श्याम मनोहर जायसवाल, गोण्डा में साबिर अजीजी, आरिफ, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद के नेतृत्व में हुआ।


IPF द्वारा जारी


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *