क्या होता यदि फुले दम्पत्ति की मुलाकात मार्क्स से हुई होती?

आज फुले दम्पति होते तो वे अपने किसानों के साथ खड़े होते। वे ललकार रहे होते। उन्हें ‘गुलामगिरी’ से मुक्ति के पाठ पढ़ा रहे होते। उन्हें भीमा-कोरेगांव के किस्से सुना रहे होते।

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